बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यालय एग्जिबिशन रोड में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी ने 7 दिसंबर को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शिक्षा विभाग,बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव के के पाठक द्वारा प्रतिदिन जारी किए जा रहे तुगलकी फरमान को यदि शीघ्र सरकार वापस नहीं लेती और शिक्षकों पर जो कार्रवाई की जा रही है उसपर तत्काल रोक नहीं लगाती तो संघ के निर्देशानुसार बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ का आगामी 10 दिसंबर 2023 को होने वाले बैठक में बड़े आंदोलन की घोषणा करेगा।
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ आजादी के पूर्व का संगठन है। 1949 में इस संगठन को राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त हुई जो श्रीकृष्ण सिंह मंत्रिमंडल से लेकर आज तक जारी रहा है। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सीएम रहते हुए भी बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की मान्यता बरकरार रही। तत्कालीन सीएम द्वारा लिखी बातों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि तत्कालीन शिक्षा मंत्री के स्तर से बढे फाइल पर राबड़ी देवी ने स्पष्ट लिखा है,”जिस संगठन के अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा है इस संगठन को राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त है।.” उन्होंने आगे कहा कि बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ का अपना इतिहास रहा है। यह संगठन अपने जन्म काल से लेकर आज तक न सिर्फ शिक्षक हित बल्कि शिक्षा हित की बात करता रहा है। अपने खर्चे पर इसने विदेश में चलाई जा रही शिक्षण विधियों से प्रशिक्षण समय-समय पर राज्य के शिक्षकों को देने का काम किया है। यह संगठन अकेला वह संगठन है जिसने सरकार और शिक्षकों के बीच बेहतर तारतम्यता बनाए रखने का कार्य किया है। आज तक शिक्षकों के लिए जो भी उपलब्धियां हैं वह बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के आंदोलन की ही देन है।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षक संघो पर प्रतिबंध लगाना या उसकी मान्यता समाप्त करना लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान प्रदत मौलिक अधिकारों का हनन है,जिसे अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ एवं बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।संविधान की धारा 19 1(ग )भारत के नागरिकों(जिसमें शिक्षक या कर्मचारी भी आते हैं)को सरकार के समक्ष अपनी बात रखने के लिए संगठन/सोसायटी बनाने का अधिकार देती है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वयं अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रथम सम्मेलन को संबोधित किया था। तब से लेकर आज तक शिक्षकों का जितना भी राष्ट्रीय सम्मेलन अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के नेतृत्व में हुआ है, सभी सम्मेलनों को भारत के प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति संबोधित करते आए हैं। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ इस अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ का अनुगामी संगठन है,जो एजुकेशन इंटरनेशनल से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में संगठनों पर प्रतिबंध लगाना या किसी भी संगठन का मान्यता समाप्त करने की बात करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात है। अगर सरकार इस तरह से शिक्षकों के साथ दमनात्मक कार्रवाई करेगी तो मजबूरन शिक्षकों को सड़क पर उतरना पड़ेगा जिससे बिहार के शैक्षणिक माहौल में बेहतरी के बजाय उथल-पुथल मच जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है। जिसकी सारी जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी ।
बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि आजादी के बाद से आज तक जितने भी अवकाश तालिका बने हैं सब में सारी प्रमुख छुट्टियां शामिल की गई है। पहली बार ऐसा हुआ है जब रविवार को भी: सार्वजनिक छुट्टी होने के बावजूद, छुट्टियों में गिना गया है एवं त्योहारो पर मिलने वाली छुट्टियो में बड़े पैमाने पर कटौती भी की गई है जो सरासर शिक्षकों के साथ अन्याय है। इतना ही नहीं विभाग द्वारा पहले तो सभी प्रधानाध्यापकों को संध्या 4:00 के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भाग लेना अनिवार्य किया गया। उसके बाद अब 5:00 बजे तक विद्यालय चलाने की बाध्यता की गई है। ठंड का मौसम है ऐसे में 5:00 बजे अंधेरा हो जाता है। यातायात का साधन नहीं मिलता। महिला शिक्षकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विशेष क्लास हेतु 4:00 बजे के बाद बच्चे भी स्कूल में रुकने के लिए तैयार नहीं है और न ही अभिभावक अपने बच्चों को 4:00 के बाद स्कूल में रुकने देना चाहते हैं। ऐसे में जब शिक्षा के अधिकार अधिनियम में स्पष्ट कहा गया है कि एक शैक्षणिक सत्र में 1 से 5 वर्ग के लिए कुल 800 घंटा एवं वर्ग 6 से 8 के लिए के लिए प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में शिक्षण कार्य हेतु 1000 घंटा निर्धारित किया गया है। संध्या 5:00 बजे तक विद्यालय का समय बढ़ाकर शिक्षा के अधिकार अधिनियम का, बिहार सरकार का शिक्षा विभाग खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर रही है जो काफी पीड़ा दायक है और न्याय संगत भी नहीं है। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के वरीय उपाध्यक्ष रामचंद्र डबास ने कहा कि बिहार में सरकार द्वारा निर्धारित नियमों-अधिनियमों का उल्लंघन हो रहा है जिससे संपूर्ण राज्य में शैक्षणिक अराजकता फैलने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। भारत के संविधान और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुरूप बिहार में विद्यालयों का संचालन कराना चाहिए अन्यथा इसका प्रभाव संपूर्ण राष्ट्र पर पड़ेगा।उन्होंने आगे कहा कि अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ एवं बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से यह मांग करता है कि यथाशीघ्र त्वरित कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग बिहार सरकार द्वारा जारी तमाम तुगलकी फरमान को वापस लेने का आदेश दें एवं शिक्षकों के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई से शिक्षकों को अविलंब मुक्त करने का आदेश अपने स्तर से दें ताकि बिहार में एक स्वस्थ शिक्षा का माहौल बन हो सके।
आज के संवाददाता सम्मेलन में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महासचिव कमला कांत त्रिपाठी के अलावे संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज कुमार, वरीय उपाध्यक्ष नुनुमणि सिंह, राम अवतार पांडेय,उपाध्यक्ष घनश्याम यादव आदि उपस्थित रहे।