[Team insider] राज्य में बजट सत्र 25 फरवरी से शुरु हो गया और यह 25 मार्च तक चलेगा। हालांकि कार्यदिवस 17 दिनों तक ही चलेगा। ऐसा पंचम विधानसभा का आठवां सत्र होगा, जब बिना किसी नेता प्रतिपक्ष के बजट सत्र चलेगा और सदन के अंदर नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली रहेगा। पिछले तकरीबन डेढ साल से झारखंड विधानसभा की कार्यवाही बिना नेता प्रतिपक्ष के ही चल रही है।
कानूनी अड़चन से ज्यादा राजनीतिक पेंच
राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार के बनने के बाद विधानसभा के सात सत्र आहूत किये गये हैं- इसमें दो बजट सत्र, दो मॉनसून सत्र, एक शीतकालीन सत्र और दो विशेष सत्र शामिल हैं। इन सभी सत्र में विधानसभा को नेता प्रतिपक्ष नहीं मिल सका है। विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का नाम बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष के लिए दिया है। लेकिन दल-बदल के तहत उनका मामला स्पीकर के न्यायाधिकरण में लंबित है। इस तकरार के पीछे की वजह कानूनी अड़चन से ज्यादा राजनीतिक पेंच है।
बंधु तिर्की और प्रदीप महतो ने थाम लिया था कांग्रेस का हाथ
बता दें कि वर्ष 2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में तत्कालीन झारखंड विकास मोर्चा(जेवीएम) ने तीन सीटें जीती थीं। इसके बाद जेवीए का बीजेपी में विलय हो गया था और उसके अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी बीजेपी में वापस लौट गए थे। वहीं, शेष दो विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप महतो ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। वर्तमान स्पीकर के न्यायाधिकरण में तीन विधायकों पर दल-बदल का मामला चल रहा है। दो वर्ष हो गए लेकिन अभी तक इस मामले का कोई नतीजा निकला नहीं है।