[Team insider] कहते हैं मरने के बाद आत्मा को शांति तब तक नहीं मिलती जब तक उसके शरीर का अंतिम संस्कार न करा दिया जाय। उन्हीं आत्मा की शांति के लिए राजधानी रांची के रिम्स में पड़े 27 लावारिश शव का अंतिम संस्कार मुक्ति संस्थान के ओर से पूरे विधि विधान के साथ जुमार नदी किनारे कराया गया। संस्था के अध्यक्ष प्रवीण लोहिया ने मुखाग्नि भेंट की है, संस्था के कई सदस्य शामिल हुए।
अभी तक हजारों की संख्या में कर चुकी है दाह संस्कार
आपको बता दें कि यह संस्था अभी तक हजारों की संख्या में दाह संस्कार कर चुकी है। इस संस्था के सदस्य ही शवों को पूरे विधि विधान से मुखाग्नि प्रदान करते हैं। इस संस्था से सैकड़ों की संख्या में लोग जुड़े हैं, जो हर वक्त उनका साथ देकर ये काम नियमित तौर पर करते हैं। इन शवों के लिए कोई भी परिवार वाला अभी तक आगे नहीं आया था। होता यह है कि ये सभी या तो अनाथ की जिंदगी जीते हैं क्योंकि उनका घरवाला साथ नहीं देता। अन्यथा कुछ अपने काम से ऐसा कर बैठते हैं जिन्हें ऐसा जीवन पड़ता है। जहां उनका कोई नहीं होता।
अंतिम संस्कार किया जाना मानव जाति में एक परंपरा
इंसानी शरीर का अंतिम संस्कार किया जाना मानव जाति में एक परंपरा है, चाहे वह व्यक्ति किसी भी धर्म से ताल्लुक रखता हो। मरने के बाद मृतक के परिजन उसके शव का अंतिम संस्कार करते हैं, लेकिन बहुत ऐसे लोग हैं, जिसका मरने के बाद दाह-संस्कार करने वाला कोई नहीं होता है। उसे लावारिस शव माना जाता है। ऐसे सभी शव का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा कई सामाजिक संगठनों ने उठाया है। रिम्स में पड़े 27 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार मुक्ति संस्थान ने किया है।