झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के सेवानिवृत्त कर्मियों के पेंशन भुगतान से संबंधित अवमानना मामले में परिवहन सचिव के कोर्ट में उपस्थित नहीं होने पर झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने मौखिक कहा कि अगर परिवहन सचिव किसी कारणवश कोर्ट नहीं आ सके तो उनके जगह संबंधित अधिकारी कोर्ट में प्रस्तुत होकर अपना पक्ष रख सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नाराज कोर्ट ने परिवहन सचिव के उपस्थित होने नहीं होने पर राज्य के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में हाई कोर्ट में तलब किया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 17 फरवरी निर्धारित की है। इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि चुनाव कार्य से परिवहन सचिव राज्य के बाहर हैं। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ. एसएन पाठक की कोर्ट ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की।
ट्रांसपोर्ट सचिव का वेतन रोकने का दिया था आदेश
पूर्व में इसी मामले में कोर्ट ने ट्रांसपोर्ट सचिव केके सोन का वेतन रोकने का आदेश दिया था। दरअसल अलग राज्य गठन के बाद हुए कैडर विभाजन में झारखंड आए ट्रांसपोर्ट कर्मियों का राज्य ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन में समायोजन किया गया था लेकिन बाद में जब वह सेवानिवृत्त हुए तो पेंशन के लिए ट्रांसपोर्ट विभाग ने उस पुरानी अवधि को नहीं जोड़ा जिसे ट्रांसपोर्ट कर्मियों ने कैडर डिवीजन के पूर्व किया था। इस मामले से संबंधित दायर याचिका को निष्पादित करते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने आदेश दिया कि राज्य ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के सेवानिवृत्त कर्मियों का पेंशन भुगतान पुरानी अवधि को जोड़कर किया जाए, लेकिन भुगतान नहीं हुआ।
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कोर्ट ने सरकार की अपील को कर दिया था खारिज
हाईकोर्ट के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट खंडपीठ में अपील दाखिल किया, जिसमें कोर्ट ने सरकार की अपील को खारिज कर दिया था। मामले को लेकर राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है लेकिन इस मामले में अभी सुप्रीम कोर्ट से कोई स्टे नहीं मिला है। हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर परिवहन विभाग के कर्मियों ने कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है। मामले को लेकर शंकर प्रसाद केसरी व अन्य ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है।