मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब भी कभी फंसते नजर आते है तब अपने स्वास्थ्य को ढाल बना लेते हैं। एक बार फिर से वो ऐसा करते दिख रहे हैं। चार राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद I.N.D.I.A की बैठक से नीतीश कुमार ने किनारा कर लिया है। इसके लिए उनके स्वास्थ्य का ही हवाला दिया गया है। पिछले कुछ दिनों से लगातार ये खबर आ रही है कि नीतीश कुमार बीमार चल रहे हैं। अब जब I.N.D.I.A की बैठक में शामिल होने का सवाल आया तो नीतीश कुमार ने अपना स्वास्थ्य वाला अपना ‘ब्रह्मास्त्र’ चला दिया है। पिछले एक साल में कई ऐसे बड़े मौके आए जब नीतीश कुमार बीमार पड़े।
I.N.D.I.A की बैठक में शामिल नहीं होंगे CM नीतीश
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के पहले तक नीतीश कुमार I.N.D.I.A की बैठक के लिए पूरी तरह से तैयार थे। वो तो कांग्रेस पर आरोप भी लगा चुके थे कि कांग्रेस के कारण ही बैठक नहीं हो पा रही है, क्योंकि कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव में व्यस्त है। वहीं अब जब चुनावों नतीजों के बाद कांग्रेस ने I.N.D.I.A की बैठक बुलाई तो नीतीश कुमार ने उससे कन्नी काट ली। माना जा रहा है कि इसके पीछे सबसे बड़ा कारण चार राज्यों में कांग्रेस की करारी हार है। जिससे गठबंधन के दलों का भरोसा कांग्रेस से कम होता दिख रहा है। 6 दिसंबर को होने वाली I.N.D.I.A की बैठक में नीतीश कुमार शामिल नहीं होंगे। इसके पीछे उनके ख़राब स्वास्थ्य को वजह बताया जा रहा है। लेकिन बड़ी बात से है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी बैठक से दूरी बनाई है।
नीलम देवी के प्रचार से बनाई थी दूरी
पिछले साल मोकाम विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य का हवाला देकर प्रचार से दूरी बनाई थी। नीतीश कुमार ने राजद के साथ तो हाथ मिला लिया है। लेकिन राजद के नेता और पूर्व विधायक अनंत सिंह से उनकी तनातनी जगजाहिर है। जब से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मोकामा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनी तभी से नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार करने जाने को लेकर ख़बरें तेज हो गई। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही था कि क्या जिस अनंत सिंह से नीतीश कुमार की थोड़ी भी बनती नहीं है वो उनकी पत्नी के लिए प्रचार करेंगे या नहीं। ऐसे में नीतीश कुमार के पास दो रास्ते थे। या तो प्रचार में जाकर गठबंधन धर्म का पालन करें या फिर प्रचार से दूरी बना लें।
लेकिन यदि वो सीधे तौर पर पर प्रचार में जाने से मना करे तो गठबंधन धर्म पालन ना करने को लेकर वो घिर जाएंगे। नीतीश कुमार जानते थे कि यदि प्रचार में चले गए तो उनकी क्रेडिबिलिटी पर ही बड़ा सवाल खड़ा होगा। ऐसे में नीतीश कुमार ने अपने पेट में लगे चोट का हवाला देकर चुनाव प्रचार से दूरी बना ली थी। उन्होंने बकायदा मीडिया के सामने चोट पर लगी पट्टी को भी दिखाया था।
NDA से अलग होने के पहले अमित शाह से दूरी
ये पहली बार नहीं था जब नीतीश कुमार ने अपने स्वास्थ्य वाले ‘ब्रह्मास्त्र’ का इस्तेमाल किया हो। इससे पहले भी वो इसका सफल परिक्षण कर चुके थे। दरअसल बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन टूटने से पहले ऐसी ख़बरें थी कि दोनों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। उस वक्त गृह मंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर आए थे। ऐसी ख़बरें थी की नीतीश और उनकी मुलाकात के बाद सबकुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन अमित शाह के आने के कुछ दिन पहले ऐसी खबर आई कि नीतीश कुमार कोरोना संक्रमित है। इसलिए उनकी और अमित शाह की मुलाकात नहीं हो पाई। बाद में बिहार की सियासत में जो कुछ भी हुआ वो जगजाहिर है।