RANCHI : राजधानी के चडरी स्थित होटल लीलैक में रविवार को झारखंड आपथैल्मिक आफिसर्स एसोसिएशन का पहला कांफ्रेंस हुआ। जिसमें राज्यभर आपथैल्मिक असिस्टेंट शामिल हुए। इस दौरान सबसे पहले संगठन की मजबूती को लेकर चर्चा की गई। एक-एक कर उनके सामने काम के दौरान आने वाली परेशानियों को लेकर भी सभी ने अपने सुझाव दिए। संगठन के अधिकारियों ने कहा कि वे लोग शहर से दूर दराज जाकर भी जिम्मेदारी के साथ अपना काम कर रहे है। लेकिन सरकार की ओर से उन्हें पूरी तरह से मदद नहीं मिल रही। जिसका खामियाजा लोगों को और स्कूली बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। मैनपावर के नाम पर राज्य भर में मात्र 74 आप्थैल्मिक असिस्टेंट काम कर रहे है। वे हॉस्पिटल में डॉक्टरों की आपरेशन के दौरान मदद करते है। इसके अलावा स्क्रीनिंग का भी जिम्मा उनके कंधों पर है। जबकि 50 हजार की आबादी पर कम से कम एक असिस्टेंट होना चाहिए। वहीं राज्य की बात करें तो 500 आप्थैल्मिक असिस्टेंट की जरूरत है।
प्रमोशन के इंतजार में असिस्टेंट
अधिकारियों ने कहा कि सरकार उन्हें सारी सुविधाएं मुहैया कराए। जिससे कि स्कूलों में स्क्रीनिंग का काम तेज हो सकेगा। वहीं जो लोग दस और 12 साल से स्वास्थ्य विभाग में कांट्रैक्ट पर काम कर रहे है उनके समायोजन को लेकर भी विचार करे। उन्होंने कहा कि हमारे कई साथी प्रमोशन के इंतजार में काम करते हुए रिटायर हो गए। जबकि बाकी लोगों को प्रमोशन का इंतजार है। इसके लिए सरकार ने नीति भी बनाई है, लेकिन अबतक किसी को इसका लाभ नहीं मिला है। अगर उन्हें प्रमोशन मिलेगा और जिलों में जिम्मेवारी तय होगी तो ब्लाइंडनेस को दूर करने में उनके काम की रफ्तार और बढ़ जाएगी।