JAMSHEDPUR: जमशेदपुर में एक बार फिर रघुवर सरयू और मंत्री बन्ना गुप्ता गुट आमने-सामने है। विधायक सरयू राय ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को शिखंडी की उपाधि दी है। कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मंत्री के गुर्गे शिखंडी की तरह लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। लेकिन हम भीष्म पितामह नहीं है और ना ही सामने वाला अर्जुन है। सामने वाला तो दुर्योधन और दुशासन के भूमिका में है। दोनों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि लोगों के बीच प्रोपेगेंडा फैला रहे है जैसे इन लोगों पर भ्रष्टाचार का जांच चल रहा है वैसे हम पर भी चल रहा है। लेकिन सरयू राय ने चुनौती देते हुए कहा है कि जहां जांच कराना है करा ले। सरयू राय ने खुलासा करते हुए कहा कि मैनहर्ट वाले मामले में एसीबी 8 या 9 सितंबर को सुनवाई करेगी। साथ ही टी-शर्ट और टोपी घोटाले पर भी जांच शुरू हो गई है। 5 साल के रघुवर दास के कार्यकाल में जो कार्य हुए हैं अब उसका लेखा-जोखा जनता तक पहुंचाएंगे।
सिखों के अधिकार सुरक्षित रखने को प्रयास करूंगा
सिखों के दूसरे बड़े तख्त और गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मस्थली तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब प्रबंधन कमेटी में झारखंड के सिखों के अधिकार पूर्व की भांति बनाए रखने को हर संभव उपाय करने का आश्वासन जमशेदपुर पूर्वी के विधायक एवं पूर्व मंत्री सरयू राय ने सिख प्रतिनिधिमंडल को दिया। विधायक सरयू राय ने आश्वस्त किया कि वे झारखण्ड विधानसभा में इस सवाल को उठाने के साथ ही व्यक्तिगत स्तर से झारखंड एवं बिहार राज्य के मुख्य सचिव तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखेंगे। जिससे इसका सम्मानजनक हल निकले। सरदार भगवान सिंह ने उन्हें ज्ञापन सौंपकर सिखों के अधिकार सुरक्षित संरक्षित करने का आग्रह किया।
बताया कि 1956 के संविधान के अनुसार दक्षिण बिहार निर्वाचन क्षेत्र में मताधिकार का प्रयोग झारखंड के सिख गुरुद्वारों के प्रधान करते रहे हैं। लेकिन अब बिहार सिख प्रतिनिधि बोर्ड, बिहार के दक्षिणी बिहार भौगोलिक क्षेत्र के 15 गुरुद्वारा समिति झारखंड के 115 गुरुद्वारा समितियों को मतदान के अधिकार से वंचित रखना चाहते हैं और इसलिए कानूनी कदम भी उठा रहे हैं। सिख प्रतिनिधिमंडल का तर्क था कि बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के द्वारा झारखंड राज्य का निर्माण हुआ है, उसके बाद भी झारखंड के सिख सभा मताधिकार का प्रयोग करते रहे हैं। ऐसा क्या है जो इस अधिकार से वंचित रखना चाहते हैं। प्रतिनिधिमंडल ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य का बंटवारा भौगोलिक आधार पर हुआ है लेकिन धर्म का बंटवारा नहीं हो सकता। इसे किसी सीमा, परिधि अथवा दायरे में बांधा नहीं जा सकता है।