RANCHI : राजधानी के धुर्वा स्थित पारस एचईसी हॉस्पिटल में वैसे तो मरीज इलाज के लिए पहुंचते है। लेकिन आए दिन कुछ अलग करने में भी हॉस्पिटल पीछे नहीं है। अब पिछले दिनों ही इस हॉस्पिटल में प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए गोद भराई की रस्म की गई। इतना ही नहीं इसमें एक-एक रस्म हॉस्पिटल के डॉक्टरों और स्टाफ ने निभाई। वहीं सभी ने उन्हें आशीर्वाद भी दिया। इस दौरान दुनिया में आने वाले बच्चों के पिता और उनका परिवार भी साथ था। पारस हॉस्पिटल में गोद-भराई (बेबी-शॉवर) कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें हॉस्पिटल में इलाजरत सभी गर्भवती महिलाएं और नवजात को जन्म देनेवाली महिलाओं को आमंत्रित किया गया।
परंपरा निभा रहा हॉस्पिटल
प्रबंधन ने बताया कि इस आयोजन का मुख्य मक़सद नवजात शिशु को जन्म देनेवाली महिलाओं को ख़ुशियों भरा माहौल और शिशु की देखभाल से संबंधित जानकारी देना था। पारस की वरीय गायनेकोलॉजिस्ट डॉ पूनम बंका ने कहा कि आने वाले नवजात एवं उनके माता पिता के लिए इस ख़ास अवसर का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि डिलीवरी से 4-6 सप्ताह पहले गर्भवती महिलाओं को देवताओं और सभी बड़ों का आशीर्वाद के साथ बधाइयां देने की परंपरा रही है। उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पारस एचईसी अस्पताल भी नए मेहमान के परिवार की तरह इस पल की खुशियां सभी के साथ में बांट रहा है। वहीं डॉ अनुपमा ने कहा कि गर्भवती महिलाओं का 7-8 महीने का समय काफ़ी मुश्किल भरा रहा होता है। उसके बाद खुशियां धीरे धीरे क़रीब आने लगती है। नवजात के जन्म लेने का समय जैसे जैसे नज़दीक आता है माता पिता की उत्सुकता बढ़ने लगती है और परिवार में खुशियों का माहौल बनने लगता है। मौके पर डॉ अंशु अग्रवाल, डॉ अनुपमा, डॉ स्निग्धा, डॉ नीतू, डॉ पूनम बंका, शिशु रोग विभाग के डॉ नीरज एवं डॉ विकास आनंद मौजूद थे।