[Team insider] जमशेदपुर के घाटशिला से सटे गुड़ाबांदा प्रखंड में 7 दिनों से हाथियों का तांडव जारी है। 45 हाथियों के झुंड ने 20 से ज्यादा घरों को ध्वस्त कर दिया है। वहीं खलीहान में रखे धान को चट कर गये। उसके बाद हाथियों का झुंड श्यामसुंदरपुर गुड़ाबांधा मुख पथ पर कब्जा जमा लिया। करीब 11 घंटा से हाथियों का जमावड़ा लगा रहा। हाथियों का तांडव से कई गांव के लोग दहशत में है। आपको बता दें कि हाथियों का तांडव कई 7 दिनों से इस इलाकों में चल रहा है। हालांकि गांव के लोग हाथियों को खदेड़ने के बाद हाथियों का झुंड 11 घंटे बाद हाथी खुद-ब-खुद सड़क से हटकर कैनाल होते हुए जंगल में प्रवेश कर गये।
ग्रामीण रतजगा करने को हैं विवश
ओडिशा सीमा से सटे गुड़ाबांदा प्रखंड में तीन-चार जनवरी की रात को हाथियों ने कोढ़ागाईशोल गांव में जमकर उत्पात मचाया था। हाथियों ने केले के पौधे और अरहर की फसल को रौंदकर नष्ट कर दिया। ग्रामीणों के मुताबिक पिछले सप्ताह भर से 40 जंगली हाथी क्षेत्र में उपद्रव मचा रहे हैं। ग्रामीणों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। हाथियों के भय से ग्रामीण घर में सो नहीं पाये। ग्रामीण रतजगा करने को विवश हैं।
मृतक के परिजनों को मिलता है ₹4 लाख रुपये का मुआवजा
वैसे एक रिपोर्ट के अनुसार हाथियों ने पिछले 11 साल में 800 लोगों की जान ले ली है। पिछले साल 32 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि वन विभाग मृतक के परिजनों को ₹4 लाख रुपये मुआवजा देता आ रहा है। वैसे सवाल बहुत बड़ा कि कब तक हाथियों का तांडव इस इलाके में जारी रहेगा। वन विभाग अगर चाहे तो हाथी सड़क पर नहीं निकल सकता है। लेकिन विकास के नाम पर वनों की कटाई के बाद वन्य जीव आखिर जाएं तो कहां जाए। कुछ जानकार का यह भी कहना है कि भोजन और पानी की तलाश में हाथी पश्चिम बंगाल और उड़ीसा से झारखंड में प्रवेश कर गया है।