चतरा जिले के सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन नहीं है। यदि आपको सांप डसा, तो मौत निश्चित है। एंटी वेनम इंजेक्शन के खत्म होने के कारण दो दिनों में बाप-बेटी समेत छह लोगों की जान जा चुकी है। वैसे चतरा जिला सर्पदंश के लिए डेंजर जोन माना जाता है। जंगल व पहाड़ों की बाहुल्यता वाले जिलों में से एक चतरा जिला है। इस वजह से यहां अनेकों प्रजाति के बहुसंख्य विषैले सर्प पाए जाते हैं। जिले के 12 प्रखंडों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदर अस्पताल की स्थिति से हम आपको अवगत करा रहे हैं।
अब आप ही अंदाजा लगा सकते हैं कि चतरा में सर्पदंश के शिकार लोगों का जीवन किसके भरोसे है। सर्पदंश के शिकार लोग अस्पताल में एंटी वेनम डोज नहीं रहने की स्थिति में जान बचाने के लिए लोग या तो झाड़-फूंक का सहारा लेने को विवश हैं या फिर कर्ज लेकर दूसरे जिलों और प्रदेशों में जाकर अपना इलाज कराने को विवश। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और झाड़फूंक लोगों के लिये जानलेवा साबित हो रहा है।
जान देकर चुकानी पड़ रही है लापरवाही की कीमत
औसतन जिले में प्रत्येक वर्ष 50 से 60 मौते एवीएस डोज के अभाव व झाड़फूंक के चलते होती है। एक सप्ताह से चतरा में एक भी एंटी वेनम इंजेक्शन नही है। विभागीय अधिकारियों की शिथिलता व लापरवाही के कारण इंजेक्शन खत्म हो गया है। इसकी कीमत लोगों को जान देकर चुकानी पड़ रही है। सदर अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को हजारीबाग, रामगढ़, रांची या मगध मेडिकल कॉलेज गया रेफर कर दिया जाता है। जिससे मरीजों के मरने की संभावनाएं 70 प्रतिशत तक अधिक हो जाती है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि सांप के काटने के बाद तुरंत शरीर में विष घुलने लगती है और खून जमने लगता है। जिससे हार्ट अटैक आता है और मरीज की मौत हो जाती है। अगर सर्पदंश के घटना के पश्चात तुरंत एंटी स्नेक वेनम नही दिया जाए, तो तीन घंटे के भीतर इंसान की जान जा सकती है।
सरकारी निर्देशों की खुलेआम उड़ाई जा रही धज्जियां
हालांकि इस बड़ी लापरवाही के मामले में स्वास्थ्य विभाग के कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। सिविल सर्जन और उपाधीक्षक कैमरे के सामने आने के बजाय एक दूसरे पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ते हुए एक-दो दिनों में एवीएस का डोज हर हाल में जिले के सभी अस्पतालों में उपलब्ध करा लेने के दावे जरूर कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोग स्वास्थ्य महकमा पर लोगों के जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप लगा रहे हैं। स्थानीय समाजसेवी तो सिविल सर्जन पर स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाय अस्पताल से चंद गज की दूरी पर सरकारी निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए अपना प्राइवेट निजी संचालित करने और उसे अपडेट करने पर ध्यान देने का आरोप लगा रहे हैं।