ग्राम कचहरी के सरपंच को लेकर बिहार सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। अब ग्राम कचहरी के सरपंच द्वारा बनाई गई वंशावली मान्य नहीं होगी। इस संबंध में पंचायती राज विभाग द्वारा सभी डीएम को पत्र जारी किया गया है। जिसमें लिखा गया है कि ग्राम कचहरी के सरपंच द्वारा वंशावली बनाने पर तत्काल रोक लगाई जाए। ग्राम कचहरी के सरपंच द्वारा बनाई गई वंशावली मान्य नहीं होगी।
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विवादों के निपटारे के लिए हुआ है ग्राम कचहरी का गठन
दरअसल, पंचायती राज विभाग के अधिकारी के तरफ से एक पत्र जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 90 से 120 तक ग्राम कचहरी एवं उनके न्याय पीठों की स्थापना, शक्तियां, कर्तव्य प्रक्रिया के बारे में प्रावधान है। ग्राम कचहरी का गठन मुख्य रूप से ग्राम पंचायत स्तर पर होने वाले छोटे-मोटे विवादों का सौहार्दपूर्ण निपटारा करना है। बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 एवं बिहार ग्राम कचहरी संचालन नियमावली 2007 में फौजदारी एवं दीवानी मामलों को छोड़कर अन्य किसी तरह के कार्य करने की जिम्मेदारी सरपंच को नहीं है इसी वजह से ग्राम कचहरी या सरपंच द्वारा बनाई गई वंशावली मान्य नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि राज्य के कई जिलों से शिकायत मिल रही है कि ग्राम कचहरी के सरपंच द्वारा वंशावली तैयार की जा रही है। इसी आधार पर अंचल कार्यालयों में रैयतों द्वारा पैतृक भूमि के बंटवारे का दावा किया जाने लगा। अलग अलग संस्थाओं से जारी वंशावली से भूमि विवाद बढ़ने लगे हैं। कुछ सालों से बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आने लगे हैं। इसके बाद विभाग को यह आदेश जारी करना पड़ा। बता दें कि वंशावली का ज्यादातर उपयोग पैतृक जमीन के मामले में किया जाता है। वंशावली पैतृक भूमि को रैयत के नाम से स्थानांतरण करने में काफी उपयोगी होती है। वंशावली बनाने के बाद स्पष्ट हो जाता है रैयत जिस भूमि पर स्वामित्व का दावा कर रहा है वह उस परिवार का सदस्य है।