भारतीय संस्कृति हिन्दी की सभ्यता और हमारे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस को मना कर प्रवासी भारतीय विदेश मे रह कर किस प्रकार अपनी संस्कृति की शान को बढ़ावा दे रहे हैं, इसका उदहारण शनिवार की शाम को अबू धाबी के होटल दूषित थानी मे बाल कवियों और बाल कवयित्रियों के सजे मंच पर देखने को मिला। गोष्ठी का प्रारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ ही बाल कवयित्री कु. पल्लवी बरटाके, कु. असिरा टंडन, कु. गार्गी त्रिपाठी, कु. तन्वी सीथा ने पद्मावती कंवर के नेतृत्व में सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी, और इसी के साथ ही बाल काव्य संध्या का आरंभ हुआ।
नन्हें बाल कवि और बाल कवयित्रियों ने अपने कोमल मन में भारतीय संस्कृति की मजबूत जड़ों को परदेस में किस तरह सजाए रखा है ये उनकी मनमोहक प्रस्तुतियों में देखने को मिला, इस दौरान कु. उपाधि खंडेलवाल की कविता- संस्कृत की लाडली बेटी हे हिंदी, लक्ष्य त्रिपाठी की-जियो जियो ऐ हिन्दुस्तान, कु. गार्गी त्रिपाठी की हास्य कविता- हमें हिन्दी को और स्ट्रांग बनाना है, कु. तन्वी सीथा की – हिन्दी की कहानी, कु.पावनी बारटके की – जिसके बिना हमारी एकता अधूरी है ऐसी राष्ट्रभाषा ज़रूरी है, राजकुमार “गौरव” की – हिन्दी की शान, दिवीत तिवारी की – वह जीवन भी क्या जीवन जिसमें आशा का नीर नहीं, कु. असिरा टंडन की- करो माता पिता और गुरु को वंदन, कु. श्रेया प्रकाश की- देश का हर एक बच्चा कहता हैं, कु. अनाहीता राय की – मैं रहूं या ना रहूँ भारत रहना चाहिए, आदि कविताओ से श्रोता भाव विभोर हुए!
वहीं श्रोता गणों के बीच उपस्थित बच्चों ने भी अपनी रुचि झलकाई जिनमें शामिल थे कु.अनाहीता राय, कु. अन्वी शर्मा, कु. आराध्या शर्मा, अनय सीथा, अनुधी खण्डेलवाल ने अपनी प्रस्तुतियों में कृष्ण भजन और राम भक्ति के भजनों से वातावरण को मधुर कर दिया। अंचला शर्मा, सुरेखा मोरानकर, कमला प्रकाश जॉली, पद्मावती कंवर, रिपल व्यास, पल्लवी कुळकर्णी, ललिता मिश्रा, अवधेश राणा, विवेक तिवारी ने सभी बाल कवियों और कवयित्रियों को प्रशंसा पत्र एवं उपहार देकर बच्चों का उत्साह वर्धन किया।