राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) का नया डाटा जारी हो चुका है। देश भर में किस अपराध के मामले में कौन सा राज्य किस हाल में है, यह नए डेटा से सबके सामने है। विकास के लिए जाति आधारित गणना करवा कर साइंटिफिक डेटा कलेक्ट करने वाली बिहार सरकार के लिए गौर फरमाने की बात यह है कि NCRB की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। NCRB ने अभी 2022 का आंकड़ा जारी किया है। इसमें बिहार में लगभग 3.47 लाख अपराध के मामले दर्ज हुए हैं। जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2.82 लाख था। यानि एक साल में बिहार में अपराध के मामलों में 65 हजार की बढ़ोतरी हुई है। यही बिहार जमीन और जाति के नाम पर होने वाली हत्याओं के मामले में देश भर में टॉप पर पहुंच गया है।
बिहार में पिछले साल हुई कुल 2930 हत्याओं में 804 का कारण निजी दुश्मनी रहा। इसके बाद 535 हत्याएं जमीन और संपत्ति विवाद में हुई। पूरे देश में जाति को लेकर 27 हत्याएं दर्ज की गईं इनमें सर्वाधिक सात हत्याएं बिहार में हुईं। इसके बाद तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में छह-छह, कनार्टक में पांच और उत्तरप्रदेश में जाति के नाम पर दो हत्याएं हुईं। इसी तरह वर्ग संघर्ष के नाम पर पूरे देश में 83 हत्या दर्ज की गई इनमें सबसे अधिक 50 हत्याएं बिहार में हुईं। इसके बाद कनार्टक में आठ, हरियाणा में सात और उत्तरप्रदेश में छह हत्याएं वर्ग-संघर्ष में हुईं।
हालांकि अपराध में वृद्धि और दूसरे बढ़े आंकड़ों के बावजूद बिहार में अपराध दर गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना जैसे राज्यों से कम है। साथ ही पुलिस जांच और अनुसंधान में भी बिहार पुलिस का प्रदर्शन देश के टाप-10 राज्यों में शामिल है। लेकिन बिहार में वर्ष 2022 में 2930 हत्याएं दर्ज की गईं, पिछले साल यह आंकड़ा 2799 था। देश में सबसे अधिक 3491 हत्याएं उत्तरप्रदेश में दर्ज की गई हैं। बिहार कुल हत्याओं के मामले में देश में दूसरे स्थान पर है। चार्जशीट करने में बिहार पुलिस टाप-10 में पुलिस जांच और अनुसंधान में भी बिहार पुलिस का प्रदर्शन देश के टाप-10 राज्यों में शामिल है। बिहार में चार्जशीट की दर 82.5 है, जो राष्ट्रीय दर 82 से बेहतर है। आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, केरल, एमपी, यूपी, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र जैसे राज्य बिहार की तुलना में चार्जशीट करने में आगे हैं।
राजनीतिक हत्याओं में झारखंड 17 के आंकड़े के साथ सबसे आगे है। बिहार और ओडिशा में राजनीतिक कारणों से आठ-आठ लोगों की हत्या दर्ज की गई है। प्रेम-प्रसंग में हत्या में यूपी 253 के साथ पहले और बिहार 171 के साथ दूसरे स्थान पर है। बिहार में पानी के लिए भी नौ लोगों की हत्या की गई है।