आमतौर पर उपचुनावों पर राजनीतिक दल उतनी मेहनत नहीं करते, जितनी सामान्य चुनाव में होती है। लेकिन बिहार के उपचुनाव अलग ही उदाहरण पेश कर रहे हैं। गोपालगंज और मोकामा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। गोपालगंज सीट भाजपा के पास थी। तो मोकामा राजद के पास। संयोग है कि दोनों सीटों पर एक साथ उपचुनाव हो रहा है। भाजपा की कोशिश गोपालगंज का किला बचाने के साथ मोकामा में राजद को झटका देने की है। तो राजद की कोशिश मोकामा में जीत बुलंद रखने के साथ गोपालगंज में जीत का अधूरा ख्वाब पूरा करने की है। दोनों सीटों में कुछ समानताएं हैं। दोनों सीटों पर भाजपा और राजद की अलग अलग कमजोरी और मजबूती है। आज, 3 नवंबर को, वहां वोटिंग हो रही है जिसमें जनता दोनों पार्टियों की किस्मत का फैसला EVM में लॉक करेगी। नतीजा 6 नवंबर को आएगा।
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गोपालगंज व मोकामा में समानताएं
- दोनों सीटों पर लड़ाई भाजपा और राजद में है।
- दोनों सीटों पर 17 साल से विधायक नहीं बदला।
- 2020 के चुनाव में मोकामा से भाजपा ने चुनाव नहीं लड़ा था, तो राजद ने गोपालगंज से।
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गोपालगंज में राजद
- मजबूत पक्ष : यहां राजद ने वैश्य उम्मीदवार उतारा है। मुस्लिम और यादव वोट राजद के परंपरागत वोट बैंक का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में राजद इन तीनों जातियों को साथ लाकर जीत दर्ज करने की कोशिश में है। चुनाव से कुछ दिन पहले ही तेजस्वी यादव ने जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा के साथ 600 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है।
- कमजोर पक्ष : वैसे तो यह लालू यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का गृह जिला है। परिवार के पांच सदस्य सक्रिय राजनीति में हैं। लेकिन गोपालगंज से कभी इन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा। गोपालगंज के होते हुए भी जनता को गृह जिले वाली फीलिंग नहीं दे पाते। पिछले चार चुनाव में राजद या उनके गठबंधन का कोई उम्मीदवार नहीं जीता है। वहीं राजद उम्मीदवार मोहन गुप्ता का चुनावी अनुभव शून्य है।
मोकामा में राजद
- मजबूत पक्ष : पिछले चार चुनावों से मोकामा में अनंत सिंह को कोई चुनौती नहीं मिली है। अनंत सिंह पहले जदयू में थे, तब भी जीते। 2015 के चुनाव में निर्दलीय लड़े तब भी जीते। 2020 में राजद से चुनाव लड़े तब भी जीते। इस बार राजद की उम्मीदवार अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी हैं।
- कमजोर पक्ष : जिस अनंत सिंह के बूते राजद मोकामा जीतने का प्रयास कर रही है, वे जेल में हैं। जेल जाने के कारण ही इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है।
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गोपालगंज में भाजपा
- मजबूत पक्ष : चार चुनावों से भाजपा के उम्मीदवार रहे सुभाष सिंह को कभी भी कड़ी टक्कर नहीं दे सका। शहरी सीट है, जो भाजपा के लिए हमेशा फायदेमंद रहा है। सुभाष सिंह के निधन पर चुनाव हो रहा है और उनकी पत्नी ही भाजपा की उम्मीदवार हैं। ऐसे में सहानुभूति भी एक फैक्टर है। दूसरी ओर राजद के वोट काटने के लिए बसपा से इंदिरा यादव हैं, जो तेजस्वी की मामी हैं। साथ ही AIMIM मुस्लिम वोटों की राजनीति भी कर रहा है, जिसका नुकसान राजद को ही हो सकता है।
- कमजोर पक्ष : उम्मीदवार कुसुम देवी चुनाव और राजनीति में बिल्कुल नई हैं। न उन्होंने पहले कोई चुनाव लड़ा है और न ही वे राजनीतिक रूप से सक्रिय रही हैं। राजद ने वैश्य उम्मीदवार उतारा है। जो पहले भाजपा का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन राजद की ओर से वैश्य वोट बैंक में सेंध लगाने के प्रयास से भाजपा को झटका लगा है।
मोकामा में भाजपा
- मजबूत पक्ष : अनंत सिंह को सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी गई है और मोकामा में उपचुनाव हो रहा है। ऐसे में भाजपा यह बताने का प्रयास कर रही है कि सत्ता पक्ष अपराधियों को संरक्षण देता है। इस चुनाव को भाजपा ने अपराध के खिलाफ लड़ाई बताने का प्रयास किया है।
- कमजोर पक्ष : भाजपा मोकामा में कभी चुनाव नहीं लड़ी है। पहले जदयू के साथ गठबंधन था तो जदयू के उम्मीदवार को ही जगह मिली। 2015 में जदयू से अलग चुनाव लड़ी भाजपा ने लोजपा को सीट दे दी थी। 2020 में भी भाजपा ने जदयू को सीट दी। ऐसे में मोकामा में भाजपा के पास वैसे कार्यकर्ता नहीं हैं, जैसा दूसरी सीटों पर होते हैं।
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