लोकसभा चुनाव से पहले I.N.D.I.A. की चौथी मीटिंग की तैयारी हो रही है। देश भर के भाजपा विरोधी दलों की बैठक पटना, बेंगलुरु और मुंबई के बाद अब दिल्ली में होने वाली है। 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में 4 राज्यों में झटका खा चुकी कांग्रेस के लिए यह मीटिंग महत्वपूर्ण बताई जा रही है। लेकिन भाजपा की तरह I.N.D.I.A. में साथी दल भी कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में हैं। दरअसल, I.N.D.I.A. के दलों की परेशानी का एक बड़ा मुद्दा सीट शेयरिंग है और छह माह में इस पर कोई बात ही नहीं हुई है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस इसी मुद्दे पर कांग्रेस से बिदकती रहती हैं। वैसे बैठक से पहले ही इन्हीं दोनों दलों के कांग्रेस पर डबल वार की तैयारी है।
AAP मांगे दिल्ली-पंजाब
आम आदमी पार्टी के लिए कांग्रेस को वॉक ओवर देना मुश्किल हो रहा है। क्योंकि यही एक पार्टी है जो कांग्रेस से दो राज्यों में सीधे टक्कर में है। दिल्ली के बाद पंजाब में भी सीटों का बंटवारा I.N.D.I.A. के दलों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच ही होना है और AAP दोनों में से कोई राज्य नहीं छोड़ना चाहती। पंजाब की तो सभी 13 सीटों पर दावा कर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 19 दिसंबर की बैठक से पहले ही कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है।
ममता के पास कांग्रेस के लिए 2 सीटों का ऑफर
कांग्रेस के लिए दूसरी सबसे बड़ी परेशानी ममता बनर्जी हैं। ममता किसी हाल में कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में आगे नहीं आने देना चाहती। 2019 के लोकसभा चुनाव में वैसे ही ममता की परेशानी बढ़ी थी क्योंकि भाजपा ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीत ली थी। अब कांग्रेस को ममता बनर्जी 2024 के लिए वही दो सीट देना चाहती हैं, जिस पर कांग्रेसी उम्मीदवार 2019 में जीते थे। इसमें 1 सीट बरहामपुर की है, जहां से लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी जीते थे। दूसरी सीट मालदा दक्षिण की है, जहां से कांग्रेस के अबु हसेन खान चौधरी पिछले तीन चुनावों से जीतते आ रहे हैं। 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल में ममता की पार्टी के पास 22 सांसद हैं, जो 2014 के मुकाबले 12 कम हैं। जबकि कांग्रेस के दो ही सीटें हैं।
कांग्रेस के पास विकल्प कम
ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की इन मांगों के बीच कांग्रेस के पास अब विकल्प कम ही बचे हैं। विधानसभा चुनावों में अपने बूते लड़कर पटखनी खा चुकी कांग्रेस अगर भाजपा को 2024 में रोकना चाहती है तो बिहार और महाराष्ट्र की तरह कांग्रेस को उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब और दूसरे राज्यों में गठबंधन कायम रखना होगा। बिहार और महाराष्ट्र में कोई परेशानी नहीं है क्योंकि यहां पहले से कांग्रेस, जदयू और राजद के साथ गठबंधन में है। लेकिन अन्य राज्यों में कांग्रेस I.N.D.I.A. के साथी दलों से गठबंधन नहीं है।