संसद की गरिमा सांसदों से है और उनके आचरण को ही इसका आधार माना जाता है। संसद कितने घंटे शांतिपूर्वक संचालित होती है, यह सांसदों के व्यवहार पर ही निर्भर करती है। संसद चलती है तो जनता के विकास के लिए सरकार के रोडमैप पर चर्चा भी होती है और उसे आगे भी बढ़ाया जाता है। लेकिन कई बार कुछेक शब्दों के कारण कई दिनों, हफ्तों तक संसद शांतिपूर्वक नहीं चलती। अब मानसून सत्र के पहले लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय अभिव्यक्ति की नई शब्दावली जारी की है। इन शब्दों का प्रयोग संसदीय रिकॉर्ड में नहीं जाएगा।
‘मुहावरे भी सलीके से’
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी नई शब्दावली में कई ऐसे मुहावरों को भी असंसदीय श्रेणी में ला दिया है, जो आम बोलचाल में बोल दिए जाते हैं। लेकिन अब संसद की कार्रवाई के दौरान सांसदों को ऐसे मुहावरों का प्रयोग नहीं करना है। इसमें गरियाना, अंट-शंट, उचक्के, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, बॉब कट हेयर जैसे शब्द भी शामिल हैं। छत्तीसगढ़ की विधानसभा पहले से ही इन शब्दों को कार्यवाही से हटा दिया है। वहीं राजस्थान विधानसभा में असंसदीय घोषित कांव-कांव करना, तलवे चाटना, तड़ीपार और झारखंड विधानसभा में कई घाट का पानी पीना जैसे मुहावरों को भी असंसदीय सूची में शामिल किया गया है।
इन हिंदी शब्दों पर भी रोक
नई जारी शब्दावली के मुताबिक कई हिंदी शब्दों को अमर्यादित श्रेणी में रखा गया है। इसमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनि, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिठ्ठू, कमीना, काला सत्र, दलाल, खून की खेती, छोकरा, कोयला चोर, गोरू चोर, चरस पीते हैं, सांड जैसे शब्द शामिल हैं।
अंग्रेजी के इन शब्दों पर भी रोक
नई व्यवस्था के मुताबिक संसद में जिन अंग्रेजी शब्दों के इस्तेमाल पर रोक है वो हैं- ashamed, abused, betrayed, corrupt, drama, hypocrisy, incompetent, bloodshed, bloody, betrayed, ashamed, abused, cheated, chamcha, chamchagiri, chelas, childishness, corrupt, coward, criminal, crocodile tears, disgrace, donkey, drama, eyewash, fudge, hooliganism, hypocrisy, incompetent, mislead, lie और untrue।