वैसे तो पाकिस्तान और भारत के बीच का तनाव 1947 से ही चला आ रहा है। लेकिन पाकिस्तान कभी सामने से युद्ध में भारत के सामने टिक नहीं पाया है। 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना का सरेंडर पूरी दुनिया ने देखा है। तो 1999 में कारगिल में घुसपैठियों की वेश में भारत में घुसने की पाकिस्तानी कोशिश को भारतीय सेना ने अपने शौर्य के बल पर चकनाचूर कर दिया। 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया युद्ध भारतीय सेनाओं के पराक्रम की गाथा कहता है।
चरवाहों ने देखे घुसपैठिए
कारगिल का वो क्षेत्र, जिस पर कब्जे के लिए युद्ध हुआ, वो सर्दियों में भारतीय सेना खाली कर देती थी। वहां का तापमान -50 डिग्री तक पहुंच जाता था। इसी का लाभ उठाकर पाकिस्तानी घुसपैठियों को वहां की सेना ने घुसा दिया। 3 मई 1999 को कुछ चरवाहों ने घुसपैठियों को देखा और भारतीय सेना को सूचना दी। इसके बाद भारतीय सेना ने घुसपैठियों को खाली कराने का अभियान शुरू किया।
पेट्रोलिंग पार्टी शहीद
घुसपैठियों की सूचना मिलने के बाद पांच मई 1999 को भारतीय सेना ने पेट्रोलिंग के लिए उस इलाके में जवानों को भेजा। पेट्रोलिंग पार्टी जैसे ही घुसपैठ वाले इलाके में पहुंची, घुसपैठियों ने फायरिंग शुरू कर दी। अचानक उंचाई से हुई फायरिंग में पेट्रोलिंग पार्टी के पांचों जवानों को शहीद कर दिया। पाकिस्तानियों की योजना लेह-श्रीनगर हाइवे पर कब्जे की थी। ताकि वो लेह को भारत से काट सकें।
भारतीय चौकियों पर 800 घुसपैठिए!
पेट्रोलिंग पार्टी के शहीद होने के बाद नौ मई को पाकिस्तानी सेना ने तोप से भारत के गोला बारूद डिपो को उड़ा दिया। तब तक द्रास, काकसर, बटालिक सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठिए सामने आ चुके थे। 600 से 800 घुसपैठियों ने भारतीय चौकियों पर कब्जा जमा लिया था। इसका जवाब देने के लिए भारतीय सेना आगे बढ़ने लगी। वायु सेना भी अपनी कार्रवाई में जुटी।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को बनाया बंदी
27 मई 1999 को भारतीय वायुसेन के हमले को पाकिस्तानियों ने नाकाम कर दिया। इसमें स्क्वॉड्रन लीडर अजय अहूजा शहीद हो गए और फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को बंदी बना लिया गया। हालांकि छह दिन बाद तीन जून को पाकिस्तान को नचिकेता को छोड़ना पड़ा। तब तक घुसपैठियों के पास से मिले पाकिस्तानी सैनिकों के पहचान पत्र साबित कर चुके थे कि घुसपैठियों की शक्ल में पाकिस्तान ने अपनी सेना भेज दी है।
छह जून से ऑपरेशन विजय ने रफ्तार पकड़ी
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्पष्ट कर दिया था कि हालात युद्ध जैसे बन गए हैं। इसके बाद छह जून से भारतीय चौकियों से घुसपैठियों को खदेड़ने का ऑपरेशन विजय रफ्तार पकड़ लिया। द्रास-कारगिल सेक्टर में घुसपैठियों के खिलाफ बड़ा अभियान चला। 9 जून को बाल्टिक सेक्टर में भारतीय सेना ने दो बेहद अहम चोटियों को फिर से हासिल कर लिया। 13 जून को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलोलिंग चोटी पर फिर से कब्जा किया। ये इस युद्ध के बेहद मुश्किल ऑपरेशन में से एक था।
चार जुलाई को Tiger Hills पर तिरंगा
29 जून को भारत ने टाइगर हिल्स के पास की दो अहम चोटियों पर फिर से कब्जा कर लिया। 4 जुलाई को भारतीय सेना ने टाइगर हिल्स पर तिरंगा फहराया। करीब 11 घंटे तक लगातार चली लड़ाई के बाद भारतीय सेना ने इस अहम पोस्ट पर अपना कब्जा जमाया। 5 जुलाई को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर पर कब्जा जमाया। 7 जुलाई को बाटलिक सेक्टर में जुबर पहाड़ी पर भारतीय सेना ने फिर से कब्जा जमाया। सात जुलाई को ही एक अन्य ऑपरेशन के दौरान Captain Vikram Batra शहीद हुए।
12 जुलाई पाक PM ने दिया प्रस्ताव
11 जुलाई को भारतीय सेना ने बाटलिक सेक्टर की लगभग सभी पहाड़ियों की चोटियों को फिर से अपने कब्जे में ले लिया। तो इसके एक दिन बाद ही 12 जुलाई को युद्ध हारते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के सामने बातचीत की पेशकश की। 14 जुलाई को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को भारतीय क्षेत्र से पूरी तरह से खदेड़ दिया। भारत ने अपने सभी इलाकों को वापस हासिल कर लिया। 26 जुलाई को भारत ने कारगिल युद्ध को जीतने की घोषणा कर दी।