भारत में भगवान श्रद्धा और भक्ति के साथ राजनीति के लिए भी जरुरी हैं। केंद्र की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए सालों तक भगवान राम चुनावी घोषणापत्र के हिस्से प्रमुखता से बने रहे। भाजपा का वादा उसी के सत्ताकाल में पूरा भी हो रहा है। अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ भाजपा के सत्ताकाल में ही हुआ। कहने वाले तो यहां तक कह देते हैं कि BJP और नरेंद्र मोदी को सत्ता में पहुंचने के लिए ‘राम-नाम’ जपते हैं। लेकिन ये आरोप लगाने वाले भी खुद इसी मोहजाल में फंसते दिख रहे हैं। सालों तक भाजपा के साथ रही JDU राम मंदिर के मुद्दे पर कभी भाजपा के समर्थन में नहीं रही। लेकिन अब राम मंदिर बन गया है तो माता सीता के मंदिर के बहाने JDU भी अलग तरीके से मंदिर मोह में शामिल हो रही है।
माता सीता की उपेक्षा का अरोप
राजनीतिक दलों से चुनाव के लिए मुद्दे उठाने, नए मुद्दे गढ़ने, पुराने मुद्दे दफनाने की उम्मीद तो रहती ही है। राम मंदिर भी ऐसा ही मुद्दा है। भाजपा ने इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा बनाए रखा। लेकिन अब जब भाजपा का वादा कानूनी तरीके से पूरा हुआ तो JDU ने इसमें नया मुद्दा ढूंढ़ लिया है। जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार के योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव का कहना है कि भाजपा और केंद्र सरकार माता सीता की उपेक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि BJP अयोध्या प्रेम में ऐसे डूब गई है कि माता सीता उन्हें याद ही नहीं है। बिजेंद्र यादव यह भी कहते हैं कि माता सीता का नाम भगवान श्रीराम से पहले लिया जाता है। इसके बावजूद भाजपा वोट प्रेम में अयोध्या में डूबे रहना चाहती है।
JDU को चाहिए सीता का मंदिर
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिजेंद्र प्रसाद यादव स्पष्ट कहते हैं कि भाजपा अयोध्या में मंदिर निर्माण सिर्फ वोट बैंक के लिए कर रही है। क्योंकि अगर अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है तो माता सीता के सीतामढ़ी में मंदिर के लिए क्या प्रयास केंद्र सरकार ने किए हैं, ये भी बताना चाहिए? JDU नेता ने यह भी कहा कि BJP नहीं चाहती कि सीतामढ़ी को राष्ट्रीय धार्मिक मानचित्र पर जगह मिले। ये बिहार के साथ-साथ संपूर्ण मिथिला का भी घोर अपमान है। बिजेंद्र यादव ने केंद्र सरकार से मांग की है कि अयोध्या की तरह ही सीतामढ़ी में भी माता सीता की विशाल मूर्ति स्थापित हो। साथ ही भगवान श्रीराम का भी मंदिर सीतामढ़ी में बने। अगर ऐसा केंद्र सरकार करती है तो ये माता सीता की उपेक्षा का प्रायश्चित होगा।
अचानक क्यों आई माता सीता की याद?
अयोध्या में मंदिर मुद्दे पर भाजपा अपने कुछ सहयोगियों के साथ अकेले दौड़ी है। JDU और BJP साथ होने के बाद भी इस मुद्दे पर बिल्कुल अलग थे। लेकिन अचानक JDU ने मंदिर मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया है। JDU का पहले से स्टैंड रहा है कि कानून जो फैसला करे, वो मंजूर होगा। अब कानूनी फैसला वही आया है, जो BJP चाहती थी। ऐसे में JDU को डर ये है कि राम मंदिर बनवाने का ही क्रेडिट BJP 2024 के लोकसभा चुनाव में करेगी।
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दूसरी ओर JDU के सर्वमान्य नेता Nitish Kumar विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनना चाहते हैं। ऐसे में जदयू की कोशिश ये है कि भाजपा के मंदिर मुद्दे का जवाब मंदिर को ही मुद्दा बनाकर किया जाए। अयोध्या का क्रेडिट तो जदयू को मिलेगा नहीं तो अब उनकी कोशिश ये है कि सीतामढ़ी को नया मुद्दा बनाकर भाजपा को जवाब दिया जाए। हालांकि जदयू की इस कोशिश को इस रूप में भी देखा जा रहा है कि जिस तरह नरेंद्र मोदी को राम के मंदिर के मुद्दे ने PM की कुर्सी तक पहुंचा दिया। उसी प्रकार नीतीश कुमार माता सीता के मंदिर को मुद्दा बनाकर PM बनने का प्रयास कर रहे हैं।