बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने स्पीकर पद से इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अविस्वास प्रस्ताव का नोटिस इसलिए अस्वीकार किया क्योंकि यह नियमानुसार नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि वे लोकतंत्र में अटूट आस्था रखते हैं। नियमों और परपराओं का संरक्षण उनका काम है। सदन में बिना किसी भय और पक्षपात के वो अपनी बात रखेंगे। स्पीकर के इस आत्मविश्वास का सत्तापक्ष विरोध कर रहा है। क्योंकि 241(अभी) सदस्यों वाली विधानसभा में 165 सदस्य उनके विपक्ष में खड़े हैं। वैसे विजय कुमार सिन्हा का आत्मविश्वास शायद उस पुराने रिकॉर्ड को जानकर आया है, जब बिहार विधानसभा में स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया है।
तीन बार आ चुका है अविश्वास प्रस्ताव
बिहार विधानसभा में अभी तक तीन बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुका है। लेकिन यह पारित कभी नहीं हुआ। यानि स्पीकर के पद पर बैठे व्यक्ति को कोई दिक्कत नहीं हुई। सबसे पहले बिहार विधानसभा में 7 अप्रैल 1960 को तत्कालीन अध्यक्ष विन्ध्येश्वरी प्रसाद वर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। लंबी बहस के बाद अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 70 विरोध में 176 वोट पड़े। दूसरी बार 8 जून 1970 को राम नारायण मंडल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव चर्चा से पहले ही नोटिस देने वाले विधायक श्यामसुंदर दास ने ले लिया। तीसरी बार 28 जुलाई 1992 को तत्कालीन अध्यक्ष गुलाम सरवर के खिलाफ सदस्य ब्रजकिशोर नारायण सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव दिया। लेकिन सत्ता पक्ष ने इसे नियम विपरीत बताया।
इस बार के हालात सबसे अलग
भले ही पहले के स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के सामने टिक गए। लेकिन इस बार हालात अलग हैं। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ सत्ताधारी दल समेत 7 पार्टियों के 50 विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव की सूचना विधानसभा के सचिव को दी है। अगर वोटिंग होती है तो 165 मत विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ जा सकते हैं। इसके बावजूद विजय कुमार सिन्हा इस्तीफे से इनकार कर रहे हैं। ऐसे में उनकी कुर्सी रहेगी या जाएगी, यह तो सदन में तय होगा। लेकिन बिहार की राजनीति में अलग अध्याय इस प्रक्रिया के पूरी होने तक चलेगा, इतना पक्का है।
बिहार विधानसभा में अभी दलों की स्थिति
- राजद : 79
- भाजपा : 76
- जदयू : 45
- कांग्रेस : 19
- भाकपा माले : 12
- हम सेक्युलर : 04
- भाकपा : 02
- माकपा : 02
- AIMIM : 01
- निर्दलीय : 01
- रिक्त पद : 02 (राजद विधायक अनंत सिंह की सदस्यता समाप्त होने और भाजपा विधायक सुभाष सिंह के निधन से दो सीटें रिक्त हैं)