नीतीश कुमार बिहार की सियासत में सही समय पर दोस्तों को दुश्मन और दुश्मनों को दोस्त बनाने की कला में माहिर माने जाते हैं। 17 सालों से बिहार की सत्ता के केंद्र बने हुए हैं नीतीश कुमार। नीतीश कुमार आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। बुधवार को उन्होंने बिहार विधानसभा में विश्वासमत भी हासिल कर लिया। लेकिन पिछले दो चुनाव और सात सालों में नीतीश ने क्या खोया, क्या पाया, यह जानना दिलचस्प है।
सीटें हुई आधी पर बनी रही कुर्सी
पहले बात करें 2015 के विधानसभा चुनाव की तो नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को 71 सीटें मिलीं थी। विधायकों की संख्या के मामले में राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी जदयू। सबसे बड़ी पार्टी राजद से नौ सीटें कम थीं, लेकिन नीतीश कुमार पूरी ठसक के साथ मुख्यमंत्री बने। लेकिन 2020 के चुनाव में सबकुछ बदल गया। नीतीश की पार्टी जदयू को सिर्फ 43 सीटें मिली। दो दलों का अस्तित्व समाप्त कर 45 सीटें हुईं। नीतीश कुमार सीएम तो बने लेकिन इस बार उनका सीएम बनना महज रुटीन कार्यक्रम रहा। भाजपा ने उन्हें चुनाव से पहले चेहरा बनाया था, तो चुनाव के बाद भी बवाल नहीं किया। नीतीश ने खुद भी कई बार कहा कि सीटें कम आई तो उनकी इच्छा नहीं थी सीएम बनने की।
खो दिया स्पीकर और शिक्षा मंत्रालय
दो चुनावों और नए-पुराने गठबंधनों के बनने-टूटने के बीच नीतीश की पार्टी जदयू ने अपनी सीटें ही नहीं और भी बहुत कुछ खोया है। नीतीश कुमार जब से मुख्यमंत्री बने हैं, कुछ विभागों और पदों को लेकर दृढ़ रहे हैं। सामान्य प्रशासन और गृह विभाग नीतीश कुमार ने किसी को पहले भी नहीं दिया था, अब भी नहीं दिया। विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी और शिक्षा विभाग 2020 के पहले तक किसी को नहीं दिया था, अब ये दोनों पद उनके हाथ से निकल गए हैं। शिक्षा विभाग राजद के पास है, जिसके मंत्री प्रो. चंद्रशेखर बने हैं। जबकि विधानसभा स्पीकर पद पर राजद के ही अवध बिहारी चौधरी को जगह मिली है।
वित्त विभाग की वापसी
हालांकि ऐसा नहीं है कि नीतीश ने सिर्फ खोया या बचाया है, कुछ कुछ नीतीश कुमार ने पाया भी है। नीतीश कुमार भले ही अब तक सिर्फ अपने दम पर सरकार भले ही न बन सके हों, लेकिन बिहार की सत्ता के धुरी जरूर बने हुए हैं। खोने-पाने की सीरीज में नीतीश कुमार ने वित्त मंत्रालय अपनी पार्टी में ला लिया है। नीतीश कुमार के 17 सालों के कार्यकाल में अब तक यह विभाग लगभग 15 सालों तक सहयोगी दलों के पास ही रहा है। लेकिन इस बार विजय कुमार चौधरी वित्त मंत्री बने हैं, जो जदयू से हैं।