आज लोकसभा में हंगामा करने को लेकर 49 और विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। इन्हें पूरे शीतकालीन सत्र की कार्यवाही से निलंबित किया गया है। बता दें कि बीते दिन को भी लोकसभा से 33 और राज्यसभा से 34 सांसदों को निलंबित किया गया था। पिछले सप्ताह भी 13 विपक्षी सांसदों को लोकसभा से और एक सांसद को राज्यसभा से निलंबित किया गया था। अब तक निलंबित कुल सांसदों की संख्या 141 तक पहुंच चुकी है। जिन 49 सांसदों को आज लोकसभा से निलंबित किया गया है उनमें शशि थरूर, सुप्रिया सुले, कार्ती चितंबरम, राजीव रंजन, दानिश अली जैसे सांसदों का नाम शामिल है।
49 सांसद लोकसभा से निलंबित
लोकसभा में हंगामे के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सदन के अंदर तख्तियां नहीं लाने का निर्णय लिया गया। हाल के चुनाव हारने के बाद हताशा के कारण वे ऐसे कदम उठा रहे हैं। यही कारण है कि हम एक प्रस्ताव (सांसदों को निलंबित करने का) ला रहे हैं। इसके बाद लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सुप्रिया सुले, मनीष तिवारी, शशि थरूर, मोहम्मद फैसल, कार्ति चिदंबरम, सुदीप बंधोपाध्याय, डिंपल यादव और दानिश अली सहित 49 विपक्षी सांसदों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा। ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित होने के बाद सांसदों को निलंबित कर दिया गया।
निलंबन पर बोले विपक्षी सांसद
- कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “यह संसद के अंदर अराजकता के अलावा और कुछ नहीं है…उन्हें हमारे देश की संसदीय प्रणाली पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है। इसलिए संसद में अराजकता, अराजकता और अराजकता के अलावा कुछ नहीं है।”
- नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुख़ अब्दुल्ला ने कहा, “पुलिस किसके हाथ में है? वह गृह मंत्रालय के अधीन है। क्या हो जाता अगर वे(केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह) संसद में आकर 5 मिनट बयान दे देते और कह देते कि हम कार्रवाई कर रहे हैं।”
- सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा, “आज लगभग 40 से ज्यादा सांसद निलंबित हुए हैं। कल भी लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर 80 से ज्यादा सांसद निलंबित हुए। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। जो वातावरण हम देख रहे हैं, जहां हम संसद में अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं वह सरकार की पूरी विफलता को दर्शाता है।”
- कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “यह स्पष्ट है कि वे विपक्ष-मुक्त लोकसभा चाहते हैं और वे राज्यसभा में भी कुछ ऐसा ही करेंगे…आज, अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, मैं भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ लेकिन जो भी उपस्थित थे उन्हें शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है, जिसका अर्थ है कि वे बिना किसी चर्चा के अपने विधेयकों को पारित करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि यह संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है।”