सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद भारतीय चुनाव आयोग ने गुरुवार को चुनावी बांड की जानकारी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी है। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट की फटकार के बाद एसबीआई ने मंगलवार को पूरी डिटेल चुनाव आयोग को सौंपी थी। इस डिटेल में कुछ चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आई है।
डेटा में 187 बॉन्ड्स की जानकारी नहीं दी गई है, जिसका पैसा पीएम केयर फंड में जमा करा दिया गया है। यानी इन 187 इलेक्टोरल बॉन्ड की जितनी भी कीमत रही होगी, वह सारा पैसा प्रधानमंत्री राहत कोष में चला गया है। हालांकि, कोर्ट ने इस तरह के बॉन्ड को उसे देने वालों को ही वापस करने का आदेश दिया था।
एसबीआई ने अपने हलफनामे में दावा किया कि जिस इलेक्टोरल बॉन्ड का भुगतान किसी पार्टी को नहीं हो पाया, उसकी रकम पीएम रिलीफ फंड में जमा कर दी गई है। हलफनामे में बैंक ने आंकड़ों के जरिए बताया है कि 1 अप्रैल 2019 के बाद से 15 फरवरी 2024 तक कुल 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड्स बिके। बैंक ने बताया कि, इनमें से 22,030 बॉन्ड्स राजनीतिक दलों द्वारा भुना लिए गए।
Electoral Bond का डेटा इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर अपलोड, जानें पार्टियों के चंदों का इतिहास
स्टेट बैंक ने आगे दावा किया कि 187 बॉन्ड्स को भुनाया नहीं जा सका और इसलिए इसका भुगतान भी नहीं किया गया, और उसे पीएम रिलीफ फंड में जमा करा दिया गया। स्टेट बैंक ने बताया कि अप्रैल 2019 में उसी साल के 11 अप्रैल तक 3,346 बॉन्ड्स खरीदे गए थे और इनमें कुल 1,609 को उसी अवधि में पार्टियों द्वारा कैश करा लिया गया था।
SBI के मुताबिक उसने चुनाव आयोग को बताया है कि कुल कितने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए, खरीदने वालों के नाम क्या हैं, इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे जाने की तारीख क्या थी और किस भी इलेक्टोरल बॉन्ड की कीमत क्या थी। इसके अलावा, इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाने वाले राजनीतिक दलों की जानकारी भी चुनाव आयोग को दे दी गई है।