आगामी लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में अब एक महीने से भी कम समय बचा है। ऐसे में सियासी सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं और राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। वहीं, यूपी की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों में से एक पीलीभीत इन दिनों खूब चर्चा में है। इसका कारण हैं यहां के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद वरुण गांधी।
अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावती रुख अपनाने वाले सुर्खियों में रहे भाजपा के दिग्गज सांसद वरुण गांधी अपनी पारंपरिक सीट नहीं छोड़ेंगे। भाजपा उनसे नाराजगी के कारण टिकट डे या नहीं वह पीलीभीत से ही मैदान में उतरेंगे। उन्होंने नामांकन प्रक्रिया के पहले ही दिन चार सेट में पर्चे खरीदकर अपनी मंशा सार्वजनिक कर दी है। उनके निजी सचिव ने चार सेटों में नामांकन पत्र खरीदे हैं। माना जा रहा है कि यदि भाजपा ने अपनी सूची में उन्हें नहीं शामिल किया तो वह निर्दलीय भी मैदान में उतर सकते हैं।
आपको बता दें कि भाजपा ने अभी तक पीलीभीत सीट से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। चर्चा यह भी थी कि अगर भाजपा से वरुण गांधी को टिकट नहीं मिला तो सपा उन्हें अपना उम्मीदवार बनाकर पीलीभीत सीट के लिए टिकट देगी। लेकिन सपा ने यहां से भगवत सरन गंगवार तो बसपा ने अनीस खान उर्फ फूलबाबू को अपना उम्मीदवार बनाया है।
बता दें कि पीलीभीत लोकसभा सीट पर पिछले डेढ़ दशक से वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी का कब्जा है। वर्ष 2009 और 2019 में वरुण तो वर्ष 2014 में उनकी मां मेनका गांधी ने इस गढ़ को अपनी जीत से मजबूत किया था। पिछले चुनाव में वरुण गांधी 7,04,549 मत पाकर जीते थे। दूसरे स्थान पर सपा के हेमराज वर्मा थे। भगवत शरण पिछले चुनाव में बरेली सीट पर सांसद संतोष गंगवार के खिलाफ मैदान में उतरे थे, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।