भारतीय अर्थव्यवस्था वर्त्तमान में दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और संभवतः सबसे तेज़ रफ़्तार से भी विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था है। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म ‘जेफरीज’ ने एक हालिया रिपोर्ट में ऐसा अनुमान व्यक्त किया है कि आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था के ऊपर फिलहाल कोई खतरा नहीं है बल्कि इसके उलट विकास की रफ़्तार और ज्यादा तेज़ होने की उम्मीद है।
जेफरीज की रिपोर्ट ‘इंडिया आउटलुक 2024’ के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था को पूंजीगज व्यय यानी कैपेक्स से मदद मिल रही है। ब्रोकरेज फर्म के अनुसार, मल्टी ईयर कैपेक्स (खर्च) का अपसाइकल होना ग्रोथ को मजबूत बनाए हुए है। इस फर्म ने उम्मीद जताते हुए लिखा है कि अगले 5-7 सालों तक भारतीय अर्थव्यवस्था 6 से 7 फीसदी की शानदार दर से बढ़ने वाली है। अगर ऐसा होता है तो कम से कम अगले 5-6 सालों के लिए भारत दुनिया की सबसे तेज तरक्की करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होगी। केंद्र सरकार का खर्च यानी कैपेक्स अगर कुछ कम भी होता है, तो उससे खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। रिपोर्ट के अनुसार, अगले दो सालों में फिस्कल कॉन्सोलिडेशन के चलते कैपेक्स में कमी आने की आशंका है। जेफरीज ने बताया, अंतरिम बजट में कैपेक्स कम होने से भी ब्रॉडर कैपेक्स साइकिल पर खास असर नहीं होगा। इसकी भरपाई प्राइवेट कैपेक्स से हो जाएगी। जेफरीज को यकीन है कि सरकार के कैपेक्स में जितनी कमी आएगी, उससे ज्यादा का फ्लो प्राइवेट कैपेक्स में बढ़ जाएगा। कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में पडी धीमी ग्रोथ रेट से उबरने के लिए और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयासों के तहत केंद्र सरकार ने बुनियादी संरचना परियोजनाओं पर खर्च खूब बढ़ा दिया है। टैक्स कलेक्शन बढ़ने और सोशल स्पेंडिंग पर फोकस कम करने से भी सरकार को कैपेक्स बढ़ाने में मदद मिली है। आपको बता दें कि देश में पिछले पांच सालों में कैपेक्स पर खूब जोर दिया है, जिससे कैपेक्स 3 गुना बढ़ गया है। यह अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो रहा है।
भारत की अर्थव्यवस्था के साथ साथ जेफरीज भारतीय शेयर बाजार को लेकर भी काफी सकारात्मक है। जेफरी की इस रिपोर्ट के अनुसार, निफ्टी 50 साल के अंत तक 24 हजार अंक के स्तर को छू देगा। अभी 25 जनवरी को निफ्टी 100 अंक से ज्यादा लुढ़ककर 21,352 अंक पर रहा था। इसका ऑल टाइम हाई 22,124.15 अंक का है, जो इसी साल बना है। जेफरीज का मानना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 2024 में भारतीय बाजार में अच्छी लिवाली (खरीद) करने वाले हैं। हालांकि अब तक के आंकड़े यही बताते हैं कि एफपीआई इस साल की शुरुआत से बिकवाली (बिक्री) पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।