19 सितंबर को नए संसद भवन में कामकाज शुरू होते ही केन्द्र सरकार ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया। जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया है। इस बिल पर आज लोकसभा में चर्चा होगी। चर्चा के लिए 7 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक चर्चा चलेगी। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसद इस बिल पर अपनी पार्टी का रुख रखेंगे। लेकिन इस दौरान राजद और सपा के रुख पर सबकी नजर रहेगी। क्योंकि ये दोनों पार्टियां लंबे समय से इस बिल का विरोध करती रही हैं।
लोकसभा सहित विधानसभा में भी बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी, आरक्षण से इतनी बढेगी संख्या
राजद और सपा ने महिला आरक्षण बिल का कई बार किया है विरोध
सबसे पहले महिला आरक्षण बिल को एचडी देवेगौड़ा की सरकार ने 12 सितंबर 1996 को पेश करने की कोशिश की। लेकिन इसके तुरंत बाद देवगौड़ा सरकार अल्पमत में आ गई। देवगौड़ा सरकार को समर्थन दे रहे लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव ने इस विधेयक का खुलकर विरोध किया। वहीं 1998 में 12वीं लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए की सरकार ने भी महिला आरक्षण बिल को पेश करने की कोशिश की थी, इसमें भी राजद ने विरोध किया था।
वाजपेयी सरकार ने 13वीं लोकसभा में 1999 में दोबारा महिला आरक्षण बिल को संसद में पेश करने की कोशिश की, लेकिन राजद, सपा जैसी पार्टियों ने फिर से पूरजोर विरोध किया। लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव ये भी कहते रहे कि ये बिल उनकी लाश पर बनेगा। दरअसल इन दोनों की मांग कोटा में कोटा देने की थी। वाजपेयी सरकार ने 2003 में एक बार फिर महिला आरक्षण बिल पेश करने की कोशिश की। लेकिन प्रश्नकाल में ही जमकर हंगामा हुआ और बिल पारित नहीं हो पाया।