महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन का खेल अब चरम पर पहुंच रहा है। सरकार के मंत्रियों से लेकर सत्तासीन शिवसेना के कई विधायक सूरत होते हुए गुवाहाटी पहुंच रहे हैं। कोई वहां से वापस लौटना चाहता है तो किसी की मंशा सरकार गिराने की है। इन दावों के बीच शिवसेना का गृहयुद्ध, महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार के लिए बड़े ब्रेकर खड़ा कर चुका है। पर्दे के पीछे का मैनेजमेंट काम नहीं आया तो ठाकरे परिवार के खिलाफ विधायकों के विरोध को दबाने CM उद्धव सामने आए।
सॉफ्ट कार्ड के जरिए हार्ड मैसेज
दरअसल पूरा मामला अब ठाकरे परिवार और शिवसेना परिवार का हो गया है। पर्दे के पीछे भाजपा है या कोई और, उद्धव ठाकरे के सामने आने के बाद यह मुद्दा दब गया है। उद्धव ठाकरे फेसबुक लाइव के जरिए सबके सामने आए तो यही कहा कि उन्हें कुर्सी का मोह नहीं है। उनके बाद कोई शिवसैनिक इस कुर्सी पर बैठे तो वे खुश होंगे। लेकिन वे मुख्यमंत्री के तौर पर पसंद नहीं हैं, यह सामने से कहना होगा।
विकास का दावा
उद्धव ठाकरे ने अपने लाइव शो में न सिर्फ अपने लिए उठी विरोध की लहर थामने की कोशिश की बल्कि अपने मुख्यमंत्री रहते हुए विकास कार्य भी गिनाए। कोविड के दौरान राज्य सरकार के मैनेजमेंट पर भी उद्धव बोले। उन्होंने कहा कि किसी को ऐसी आपदा का अनुभव नहीं था। लेकिन सबसे बुरे हालात में महाराष्ट्र के होने के बाद भी सरकार ने कोविड रिलीफ मैनेजमेंट में टॉप 5 राज्यों में जगह बनाई।
‘सच्चा हिंदुत्ववादी होने का गर्व’
उद्धव ठाकरे ने कहा कि आरोप लग रहे हैं कि बाला साहेब जैसा हिंदुत्व अब शिवसेना की सोच का हिस्सा नहीं है। लेकिन यह आरोप गलत है। उन्होंने कहा कि वे अकेले ऐसे CM हैं जिन्होंने फ्लोर ऑफ द हाउस पर हिंदुत्व की बात की है। 2014 का लोकसभा चुनाव हमने अपने दम और हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ा था।
कांग्रेस-एनसीपी को सराहा
अपने फेसबुक लाइव के जरिए उद्धव ने भाजपा को स्पष्ट तौर पर तो कुछ नहीं कहा। लेकिन कांग्रेस और एनसीपी को सराहा। उद्धव ठाकरने ने कहा कि सरकार बननी थी तो शरद पवार ने मुझे ऑफर किया। जबकि एनसीपी और कांग्रेस दोनों के पास वरिष्ठ व अनुभवी नेता थे। सोनिया गांधी ने भी कई बार फोन किया है। सभी ने मुझे मदद की है।