आज विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A की बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इस बैठक में सीट शेयरिंग के फार्मूले तय होगा। लेकिन अब तक जो सवाल एनडीए की तरफ उठाया जाता है वहीं सवाल शिवसेना के मुखपत्र सामना में उठाया गया है। वो सवाल ये है कि I.N.D.I.A का नेतृत्व कौन करेगा। शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपदाकिय का शीर्षक “I.N.D.I.A का रथ, सारथी कौन?” दिया गया है।
“अब की बार चार सौ पार का आंकड़ा सेट कर दिया है”
‘इंडिया का रथ, सारथी कौन’ शीर्षक से लिखे इस संपादकीय लिखा गया है, “2024 की लड़ाई मोदी-शाह की ‘नई’ भाजपा से है। इसके साथ ही ईवीएम, इफरात पैसा और केंद्रीय जांच एजेंसियों से भी है। इन सबके दम पर मोदी मंडल ने ‘अब की बार चार सौ पार’ का आंकड़ा सेट कर दिया है।” गठबंधन की बैठक में आप के नहीं शामिल होने की अटकलों के बीच संपादकीय में लिखा गया है कि “सभी को युति और गठबंधन का महत्व समझना चाहिए लेकिन ये भी देखना होगा कि कांग्रेस के निमंत्रण का सम्मान करते हुए कितने बाराती और कितने बैंड बाजेवाले जुटते हैं। संपादकीय में लिखा गया है कि अगर अरविंद केजरीवाल नहीं आएंगे तो दिल्ली और पंजाब की समस्या कैसे सुलझेगी?” हरियाणा में भी कांग्रेस के खिलाफ आप के ताल ठोकने पर चिंता जताई गई है।
“गठबंधन का चेहरा कौन?”
आलेख में लिखा गया है कि 19 तारीख की बैठक में इंडिया गठबंधन को अब सारथी नियुक्त करना होगा। लेखा में कहा गया है, “‘इंडिया’ कई अनुभवी और बुद्धिमान नेताओं से भरा हुआ है। नेतृत्व के मामले में हम कमजोर नहीं है। 2024 के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन का ‘चेहरा’ कौन? ये तय करना होगा क्योंकि मोदी के सामने कौन है? यह सवाल बड़ा है और इस सवाल का जवाब देना होगा।”
मतभेदों पर भी टिप्पणी
आलेख में कहा गया है कि शरद पवार से लेकर एम के स्टालिन, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, लालू यादव और अखिलेश यादव जैसे तमाम नेताओं में चमत्कार करने की क्षमता है। अरविंद केजरीवाल का भी दिल्ली और पंजाब में सिक्का चल रहा है। इसके अलावा कई और साथी इंडिया गठबंधन में आने की राह देख रहे हैं। इसलिए पुराने मतभेदों को भुलाकर नए मित्रों को गठबंधन में शामिल करना चाहिए।
“100 रसोइए भोजन का स्वाद खराब कर देते हैं“
आलेख में लिखा गया है कि गठबंधन के रथ में 27 घोड़े हैं लेकिन कोई सारथी नहीं है, जिसके चलते रथ अटक गया है। इसमें कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा गया है कि 100 रसोइए भोजन का स्वाद खराब कर देते हैं। कांग्रेस पर इस बात के लिए भी निशाना साधा गया है कि हालिया विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीत की संभावना भांपकर सभी साथी को किनारे कर दिया खासकर अखिलेश यादव के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया गया। लेख में कहा गया है कि हालिया विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार हुई है, इंडिया गठबंधन की नहीं।