सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 1 मई को तलाक पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां रिश्तों में सुधार की गुंजाइश न हो और मियां-बीवी राजी हों तो तुरंत तलाक मिलेगा, इंतजार की जरूरत नहीं। शीर्ष अदालत की संवैधानिक बेंच ने सोमवार को सुनवाई के दौरान यह बात कही। अदालत ने कहा कि आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह आदेश दिया गया है कि वह न्याय के लिए दोनों पक्षों की सहमति से कोई भी आदेश जारी कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि यदि दोनों ही पक्ष तलाक के लिए सहमत हों तो फिर ऐसे मामलों को फैमिली कोर्ट भेजने की जरूरत नहीं है, जहां 6 से 18 महीने तक इंतजार करना पड़ता है।
चिराग ने भी माना, ‘बिहार में बहार है, नीतीशे सरकार है’
अब तलाक के लिए नहीं जाना पड़ेगा फैमिली कोर्ट
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है कि वह दोनों पक्षों के साथ न्याय करने वाला कोई भी आदेश जारी कर सकता है। इस बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एएस ओका, विक्रम नाथ और जस्टिस एके माहेश्वरी भी शामिल थे। बेंच ने कहा, ‘यदि शादी में रिश्ते सुधरने की कोई गुंजाइश ना बची हो तो फिर सुप्रीम कोर्ट से तलाक मिल सकता है।’ जस्टिस खन्ना ने बेंच का फैसला पढ़ते हुए कहा कि ऐसा करते हुए फैमिली कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी, जहां तलाक के लिए 6 से 18 महीने तक का इंतजार करना होता है।
SC ने तलाक के लिए कुछ गाइडलाइन भी दी
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए कुछ गाइडलाइंस भी तय की है, जिन पर फैसला देते समय विचार करना पड़ेगा। बेंच ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट में संबंध सुधारने की गुंजाइश ना होने वाली नहीं कही गई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए तलाक मंजूर कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके अलावा व्यभिचार, धर्मांतरण और क्रूरता जैसी चीजें भी तलाक के लिए आधार मानी गई हैं। बता दें 2016 में एक मामले की सुनवाई करते हुए दो सदस्यीय बेंच ने संवैधानिक बेंच के सामने मामला भेजा था।