विपक्षी दलों की बैठक देश की राजनीति का हॉट टॉपिक बना हुआ है। भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए पहली बैठक पटना में हो चुकी है। उसके बाद ही ऐलान किया गया कि जल्द ही दूसरी बैठक भी होगी। इसके लिए सबसे पहले जगह के तौर पर शिमला का नाम आया। खबर ऐसी आई कि कांग्रेस की मंशा बैठक राजस्थान में करने की है। आखिरकार बेंगलुरु में बैठक कराए जाने की घोषणा की गई। बैठक 10-12 जुलाई के बीच होने की बात कही गई। लेकिन अब स्थिति थोड़ी अलग हो गई। बैठक की जगह में काफी बदलाव के बाद अब तारीख को लेकर पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है।
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नीतीश की मजबूरी
दरअसल बैठक के लिए ऐसी तारीख का तय किया जाना जरुरी है,जिस तारीख पर सभी विपक्षी दल शामिल हो सके। लेकिन वर्त्तमान स्थिति में विपक्षी एकता बैठक के सर्व-सर्वा बिहार के सीएम नीतीश कुमार को लेकर पेंच फंस रहा है। बात ऐसी है कि 10 जुलाई से बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है। जो 14 जुलाई तक चलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए विधान मंडल सत्र को छोड़ कर ना जाने की मजबूरी होगी। इस लिए ऐसा माना जा रहा है कि बैठक 10-12 जुलाई के बीच ना करके 14 जुलाई के बाद ही होगी। हालांकि अभी आधिकारिक रूप से इसे लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है।
कांग्रेस की मंशा
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में बैठक कराए जाने के पीछे निश्चित तौर पर कांग्रेस का दबाव है। कर्नाटक में कांग्रेस की नई-नवेली बनी सरकार भी है। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कर्नाटक विधानमंडल का भी पहला सत्र शुरू होने वाला है। 20 जुलाई से कर्नाटक विधानमंडल का सत्र शुरू होना है। वहीं लोकसभा और राज्यसभा का भी मानसून सत्र 20 जुलाई से ही शुरू होने वाला है। यही कारण है कि कांग्रेस की मंशा 20 जुलाई से पहले बैठक करा लेने की है।