उत्तरप्रदेश की योगी सरकार के एक फैसले ने नया बखेड़ा शुरू कर दिया है। अचानक भूचाल सा आ गया है। आए भी क्यों नहीं, जब एक शासनादेश से लाखों हेक्टेयर जमीन किसी की हो गई हो और दूसरे शासनादेश से उसके छिनने की नौबत आ जाए। दरअसल, पूरा मामला उत्तरप्रदेश में वक्फ बोर्ड की प्रॉपटी सर्वे से जुड़ा है, जिसका आदेश योगी सरकार ने दिया है। सर्वे में इतना तो तय है कि जिसके पास कानूनी आधार होगा, जमीन उसी की होगी। इसके बावजूद बवाल क्यों मचा हुआ है, जानिए.
कांग्रेस ने वक्फ को दिए थे विशेष अधिकार
दरअसल, 7 अप्रैल 1989 को कांग्रेस सरकार ने एक आदेश जारी किया। इस आदेश से वक्फ को विशेष अधिकार मिल गए थे। इसमें कहा गया था कि यदि सामान्य संपत्ति बंजर, भीटा, ऊसर आदि भूमि का इस्तेमाल वक्फ के रूप में किया जा रहा हो तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में ही दर्ज कर दिया जाए। इसके बाद उसका सीमांकन किया जाए। इस आदेश के चलते प्रदेश में लाखों हेक्टेयर बंजर, भीटा, ऊसर भूमि वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर ली गईं।
योगी सरकार ने बताया, राजस्व कानून के खिलाफ
33 साल पुराने यूपी सरकार के आदेश को मौजूदा सरकार राजस्व कानून के खिलाफ बता रही है। यूपी सरकार द्वारा एक बार फिर से उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ अधिनियम 1960 को लागू करते हुए वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा। ऐसी संपत्तियों के रिकॉर्ड में कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह जैसी स्थिति में सही दर्ज है या नहीं, इन सबका अवलोकन किया जाएगा।
वक्फ क्या है, जानिए
वक्फ ऐसी कोई भी चल या अचल संपत्ति हो सकती है जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर देता है। इस दान की हुई संपत्ति की कोई भी मालिक नहीं होता है। दान की हुई इस संपत्ति का मालिक अल्लाह को माना जाता है। लेकिन, उसे संचालित करने के लिए कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
राजनीति चरम पर
यूपी सरकार के फैसले के बाद इस पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि अगर सरकार को मदरसों का सर्वे करना है तो हिंदू मठों का भी सर्वे होना चाहिए। अगर सरकार मदरसों का सर्वे उनकी जमीन पर अतिक्रमण रोकने के लिए कर रही है, तो फिर वक्फ बोर्ड को सरकार कुछ शक्तियां भी दे।