जी कृष्णैया ह’त्या मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन की समय से पहले रिहाई को बिहार सरकार ने सही ठहराया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। हलफनामा में कहा गया है कि आम जनता या लोक सेवक की हत्या की सजा एक समान है। उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को सिर्फ इसलिए छूट से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि मारा गया पीड़ित एक लोक सेवक था। हलफनामे में यह भी बताया गया है कि उन्होंने जेल में रहते हुए 3 किताबें लिखी हैं। जो भी काम दिया गया, वो पूरा किया है। साथ ही राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का भी हवाला दिया है।
आनंद मोहन ने 16 साल जेल में बिताए
आनंद मोहन पर गोपालगंज के DM रहे जी कृष्णैया की हत्या में शामिल होने का आरोप है। मोहन को 1994 में गोपालगंज जिला मजिस्ट्रेट की हत्या के लिए उकसाने के आरोप में उम्रकैद की सजा हुई थी। इस मामले में उम्रकैद की सजा के तौर पर उन्होंने 16 साल जेल में बिताए हैं। बिहार सरकार ने बीते 10 अप्रैल को कारा नियमों में बदलाव किया था, जिसके बाद उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया। 27 अप्रैल को उनकी रिहाई हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई संबंधी रिकॉर्ड मांगा था
8 मई को बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से रिहाई संबंधी सिफारिश का पूरा रिकॉर्ड मांगा था। कोर्ट ने कहा कि 8 अगस्त को सुनवाई होगी। कोर्ट ने बिहार सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा था। कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर आनंद मोहन की रिहाई और कानून बदले जाने को चुनौती दी है, पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।