बिहार में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा खर्च किए जाने वाले धन का आंकड़ा चौंकाने वाला है। अनुमानों के अनुसार इस बार चुनाव प्रचार में 532 करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने इस बार लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के लिए चुनावी खर्च की सीमा 95 लाख रुपये निर्धारित की है। लेकिन असल खर्च इससे कहीं ज्यादा होने का अंदेशा है।
पिछले लोकसभा चुनावों के आंकड़ों को देखें तो बिहार की 40 सीटों पर औसतन हर सीट से 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरते हैं। ऐसे में एक सीट पर यदि 14 उम्मीदवार खड़े होते हैं, तो वे चुनाव प्रचार में कुल 13.3 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं।
लेकिन जानकारों की मानें तो आम तौर पर कोई भी गंभीर उम्मीदवार चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित सीमा से कहीं ज्यादा पैसा खर्च कर देता है। यह सिर्फ उम्मीदवारों की जेब से निकलने वाला खर्च है। इसमें राजनीतिक दलों और सरकार के खर्च का आंकड़ा शामिल नहीं है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के लिए अलग से खर्च करते हैं। इसकी कोई आधिकारिक सीमा नहीं होती है। प्रत्याशी को चुनाव आयोग को सिर्फ अपना चुनावी खर्च दिखाना होता है।
चुनाव आयोग ने इस बार मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रचार के लिए वाहनों की संख्या बढ़ाकर 14 कर दी है। पहले यह सीमा सिर्फ 5 गाड़ियों की थी। इससे चुनाव प्रचार में गाड़ियों की संख्या में भारी इजाफा होने का अनुमान है।
चुनावों में इतना अधिक पैसा खर्च होना चिंता का विषय है। यह पैसा जनता के टैक्स से आता है। इसलिए चुनावों में पारदर्शिता होनी चाहिए और धन के दुरुपयोग को रोका जाना चाहिए। चुनाव आयोग को कड़े कदम उठाकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव स्वच्छ और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हों।