बिहार में कांग्रेस की सत्ता को हटाकर ही लालू यादव पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे। लेकिन बाद में कांग्रेस के कंधा देने से ही उनकी सरकार बची। कुछ ऐसा ही संयोग नीतीश कुमार के साथ भी रहा। कांग्रेस विरोध से राजनीति में शुरुआत करने वाले नीतीश कुमार 2015 में कांग्रेस के साझीदार हो गए। यह गठबंधन 2017 में टूटा लेकिन 2022 में फिर बन गया। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि उसे बिहार में लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों ने ठगा है। दरअसल, बिहार कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस और राजद-जदयू के संबंधों पर विस्तार से बात की है। अनिल शर्मा की बातों का सार यह है कि लालू यादव ने कांग्रेस को पहले ठगा, अब यही काम नीतीश कुमार कर रहे हैं।
“2019 में घटा दी सीटें, राज्यसभा का वादा अधूरा”
अनिल शर्मा ने इंटरव्यू में कहा है कि “2014 में लालू प्रसाद ने कांग्रेस को 12 सीटें दी थीं। 2019 में घटाकर इसे 9 कर दिया। वादा किया था कि एक को राज्यसभा भेजेंगे, वह भी नहीं किया।” अनिल शर्मा लालू यादव पर वादाखिलाफी के आरोप के साथ कांग्रेस की ताकत भी बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि “2009 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद ने कहा था कि कांग्रेस को महज तीन सीटें देंगे। नतीजा कांग्रेस अकेले चुनाव में गई। चुनाव नतीजों रामविलास पासवान की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली और लालू प्रसाद घटकर 4 पर आ गए। कांग्रेस दो सीट पर जीती, दो सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी।” अनिल शर्मा का इशारा साफ है कि 2024 में भी बिहार कांग्रेस को कम सीटें देने की भूल लालू यादव या नीतीश कुमार न करें।
“नीतीश पर वादाखिलाफी का आरोप”
इंटरव्यू में लालू यादव के साथ नीतीश कुमार पर भी अनिल शर्मा ने वादाखिलाफी के आरोप लगाए हैं। अनिल शर्मा ने कहा है कि “मंत्रिमंडल में जगह देने के मामले में कांग्रेस के साथ नाइंसाफी हो रही है। राष्ट्रीय जनता दल और जदयू के जो मंत्री हैं, वे चार या तीन के हिसाब से मंत्रिमंडल में जगह पाए हुए हैं। हमारे 19 विधायक हैं और इस लिहाज से कांग्रेस को पांच मंत्री पद मिलना चाहिए, लेकिन दो पर निपटा दिया गया है।” अनिल शर्मा ने आगे कहा कि “राहुल गांधी ने खुद कहा कि हमारा जो बनता है उस अनुसार मंत्री पद दिया जाए। यह कहे हुए भी पांच माह हो गए। मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री इस पर गौर करेंगे ताकि गठबंधन को मजबूती मिले।”