क्या झारखंड में कांग्रेस एक बार फिर अपने घोषित प्रत्याशी के नाम में बदलाव करेगी। क्या चतरा में भी गोड्डा सीट जैसा बदलाव देखने को मिलेगा। ये सवाल है आम जनता का और कांग्रेस के समर्थकों का। चतरा में जिस तरह से केएन त्रिपाठी का भारी विरोध हो रहा है, उससे लग रहा है कि कांग्रेस को शायद एक बार फिर से बड़ा फैसला लेना पड़ सकता है। आईए शुरू से जानते है इसकी शुरुआत कहां से हुई।
दरअसल, रविवार 21 अप्रैल को रांची के प्रगति मैदान में इंडी गठबंधन की महा रैली का आयोजन किया गया था। जहां देशभर के I.N.D.I.A गठबंधन के बड़े नेताओं के सामने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं का अंतर्कलह सामने आ गया। मंच से जैसे ही कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने अपना संबोधन शुरू किया कि केएन त्रिपाठी विरोधी नारे पंडाल में गूंजने लगे। ये बात पूरी इंडी गठबंधन के सामने आ गयी।
बता दें कि हर बार चतरा सीट से कोई बाहर का उम्मीदवार खड़ा होता है और चुनाव जीत जाता है। जिसके बाद उसे इस लोकसभा सीट के विकास से कोई मतलब नहीं होता। ऐसे में BJP ने इस बार बार प्लानिंग के तहत स्थानीय नेता कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया है। इस फैसले के जरिए भाजपा जनता के बीच यह भुना रही है कि उसने किसी बाहरी नहीं बल्कि चतरा के बेटे को टिकट दिया है। ऐसे में चतरा के कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को लगता है कि अगर भाजपा ने बाहरी-भीतरी उम्मीदवार का मुद्दा खेल दिया तो उनके उम्मीदवार को नुकसान तय है। इसी बात को लेकर कांग्रेस नेता और समर्थक पलामू के रहने वाले केएन त्रिपाठी का विरोध कर रहे। वे किसी स्थानीय कांग्रेसी नेता को टिकट देने की मांग कर रहे हैं।