बिहार की 40 लोकसभा सीटों में एक नाम महाराजगंज लोकसभा सीट का भी है। इस लोकसभा सीट का अपना एक अलग इतिहास और महत्त्व है। राजपूत बहुल महाराजगंज को बिहार का चितौडगढ़ भी कहा जाता है। राजपूतों का अधिक संख्या में होने का असर यहाँ की राजनीति में भी साफ़ देखने को मिलता है। इस लोकसभा सीट से जीत कर संसद पहुंचे अबतक सभी सांसद राजपूत ही रहे हैं। भले ही वो अलग-अलग राजनीतिक दलों से रहे। इस लोकसभा सीट से एक और खास बात ये है कि यहाँ से जीतने वाले एक उम्मीदवार ऐसे भी रहे जो बाद में देश के प्रधानमंत्री बने। वहीं एक ऐसा उम्मीदवार भी हैं जो यहां से कई बार सांसद रहे लेकिन अब जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
ढह गया कांग्रेस का किला
महाराजगंज लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का अभेद्य दुर्ग हुआ करता था। शुरूआती कई लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के अलग-अलग प्रत्याशी यहाँ जीतते रहे। 1971 और फिर 1977 में इमरजेंसी के बाद कांग्रेस यहाँ लड़खड़ा गई। 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की। लेकिन इसके बाद कांग्रेस यहाँ कभी भी जीत नहीं सकी। 1989 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का किला यहाँ पूरी तरह से ध्वस्त हो गया।
महाराजगंज से जीते थे पूर्व PM चंद्रशेखर
1989 के लोकसभा चुनाव में महाराजगंज लोकसभा सीट पर चंद्रशेखर ने चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। वही चंद्रशेखर आगे चलकर देश के 8 वें प्रधानमंत्री भी बने। हालांकि 1989 में चंद्रशेखर ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था। पहला यूपी का बलिया लोकसभा सीट और दूसरा बिहार का महाराजगंज लोकसभा सीट। उनको दोनों ही सीटों पर जीत मिली इसलिए उन्होंने महाराजगंज लोकसभा सीट को छोड़ दिया। इसलिए 1989 में ही महाराजगंज में उपचुनाव हुए जिसमें चंद्रशेखर के जनता दल के उम्मीदवार राम बहादुर सिंह ने जीत हासिल की।
प्रभुनाथ सिंह का दबदबा
महाराजगंज की राजनीति में 1998 के लोकसभा चुनाव के बाद एंट्री होती है प्रभुनाथ सिंह की। वही प्रभुनाथ सिंह जो हत्या के आरोप में फ़िलहाल उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। 1998 में समता पार्टी और फिर 1999 और 2004 में वो जदयू के उम्मीदवार के तौर पर महारागंज से सांसद चुने गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने लालू से हाथ मिला लिया। 2009 में जीते राजद सांसद उमाशंकर सिंह का निधन 2013 में हो गया। जिसके बाद हुए उपचुनाव में राजद उम्मीदवार के तौर पर प्रभुनाथ सिंह ने फिर से जीत हासिल की। ये उनकी आखिरी जीत थी।
पिछले दो चुनाव से भाजपा का परचम बुलंद
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने प्रभुनाथ सिंह को मात दी और जीत हासिल की। 2019 में राजद की तरफ से प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को उम्मीदवार बनाया गया। लेकिन उन्हें भी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने पटखनी दी और लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए। माना जा रहा है कि इस बार भी महाराजगंज में भाजपा और राजद के बीच ही लड़ाई होगी
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा सीट
अब बात महाराजगंज के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्र के बारे में कर लेते हैं। महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट हैं। जिसमें से 2 पर राजद, 1 पर सीपीआई(एम), 2 पर भाजपा और 1 पर कांग्रेस का कब्ज़ा है। जिसमें गोरेयाकोठी से भाजपा के देवेश कान्त सिंह, महाराजगंज से कांग्रेस के विजय शंकर दुबे, एकमा से राजद के श्रीकांत यादव, मांझी से सीपीआई(एम) के सत्येन्द्र यादव, बनियापुर से राजद के केदार नाथ सिंह और तरैया से भाजपा के जनक सिंह विधायक हैं।