बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीट हैं। जिसमें से 4 सीटें सीमांचल में पड़ती है। राजनीतिक दृष्टिकोण से ये चारों सीटें का महत्व काफी ज्यादा है। ये सीटें हैं किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार। आज बात पूर्णिया लोकसभा सीट की करेंगे। पूर्णिया सीट पर कभी कांग्रेस का एकक्षत्र राज हुआ करता था। लेकिन समय के साथ इस सीट की सियासत और समीकरण में बड़ा उलटफेर हुआ। पूर्णिया ऐसी सीट रही है जहाँ प्रचंड मोदी लहर में भी कमल नहीं खिल सका। वर्त्तमान समय में जदयू इसकी प्रमुख दावेदार है।
कांग्रेस के एकक्षत्र राज से JDU के राज तक
पूर्णिया बिहार की यह सबसे पुरानी लोकसभा सीटों में से एक है। यहां से पहले सांसद के रूप में कांग्रेस के फणि गोपाल सेन गुप्ता रहे हैं। वो 1957 से 1967 तक यहाँ से सांसद रहे। उनके बाद 1971 में भी कांग्रेस के मोहम्मद ताहिर ने यहाँ से जीत हासिल की।1977 में कांग्रेस को यह सीट गंवानी पड़ी। तब भारतीय लोक दल के उम्मीदवार लखन लाल कपूर यहाँ से सांसद चुने गए थे। हालांकि 1980 और 1984 में फिर माधुरी सिंह इस सीट पर फिर से कांग्रेस का परचम बुलंद किया। वही 1989 में यह सीट जनता दल के हिस्से चली गई और मोहम्मद तस्लीमुद्दीन सांसद बने। 1991 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे पप्पू यादव सांसद बने।
1996 में एक बार फिर पप्पू यादव ने चुनाव जीता पर इसबार उन्होंने समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। 1998 में पहली बार भाजपा ने जीत हासिल की। भाजपा उम्मीदवार जय कृष्ण मंडल सांसद चुने गए। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पप्पू यादव ने 1999 में फिर से वापसी की। उसके बाद 2004 और 2009 में भाजपा के उदय सिंह यहां से सांसद बने। 2014 और 2019 में जदयू के संतोष कुशवाहा ने जीत हासिल की।
प्रचंड मोदी लहर में भी नहीं खिला कमल
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA ने शानदार प्रदर्शन किया था। उस वक्त जदयू न तो NDA का हिस्सा थी न ही महागठबंधन का। जदयू ने लगभग सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा था। लेकिन सिर्फ दो ही सीट जीत सकी थी। उसी में एक सीट पूर्णियां की भी थी। पिछले दो बार से लगातार जीत दर्ज कर रहे भाजपा के उम्मीदवार उदय सिंह को 2014 में जदयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा ने पटखनी दे दी। मतलब प्रचंड मोदी लहर में भी एस सीट पर कमल नहीं खिल सका।
इसका प्रभाव ही था की 2019 के लोकसभा चुनाव में जब जदयू और भाजपा साथ थे तो ये सीट जदयू उम्मीदवार को ही दी गई। इससे नाराज होकर पूर्व सांसद उदय सिंह ने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस से चुनाव लड़ा। लेकिन जदयू के संतोष कुशवाहा ने दोबारा इस सीट पर वापसी की। यही कारण है की जदयू का दावा इस सीट को लेकर काफी मजबूत है।
पूर्णिया लोकसभा के अंर्तगत आने वाले विधानसभा सीट
पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्र के बारे में जान लेते हैं।पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीट हैं। जिसमें से 3 सीट पर भाजपा का कब्ज़ा है। जबकि 2 सीट पर जदयू और 1 सीट कांग्रेस के पास है। कस्बा से कांग्रेस के अफाक आलम, बनमनखी से भाजपा कृष्ण कुमार ऋषि, रुपौली से जदयू की बीमा भारती, धमदाहा से जदयू की लेशी सिंह, पूर्णिया से भाजपा के बिजय खेमका, कोढ़ा से भाजपा की कविता पासवान विधायक हैं।