बिहार में नीतीश कुमार ने जब से महागठबंधन की सरकार बनाई है, तब से राजपूत नेताओं से उनकी बिगड़ गई है। दरअसल, सरकार बनने के तुरंत बाद राजद के विधायक और तत्कालीन मंत्री सुधाकर सिंह ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बाद में कुछ हफ्तों तक सुधाकर नीतीश पर हमलों की हदें पार करते रहे। लेकिन एक वक्त ऐसा आया, जब सुधाकर सिंह ने मुखर विरोध छोड़ दिया। इसके बाद एक दूसरे राजपूत नेता सुनील सिंह, जो राजद से हैं, विधान पार्षद हैं और लालू परिवार के करीबी भी हैं, ने नीतीश कुमार के खिलाफ हमला शुरू कर दिया। हालांकि मौजूदा स्थिति यह है कि राजद से जुड़े राजपूत नेताओं ने नीतीश कुमार से संतुलन बना रखा है। अगर एक राजपूत नेता नीतीश कुमार को कोसते नहीं थक रहा है तो दूसरे ने शिष्टाचार में नीतीश कुमार को सिर-आंखों पर बिठा रखा है।
सुनील सिंह ने नीतीश कुमार पर लगातार हमला जारी रखा है। उनके हमले सोशल मीडिया के जरिए ही होते हैं। इसमें वे नीतीश कुमार का नाम तो शायद ही लिखते हों लेकिन उनकी बातों का इशारा इतना स्पष्ट हो जाता है कि सभी समझ जाते हैं कि वे किस पर निशाना साध रहे हैं। नीतीश कुमार के बयान, उनकी नीतियां, उनके हाव-भाव, उनकी हर गतिविधि पर एमएलसी सुनील सिंह सटायर का एफिल टावर बनाते रहते हैं।
वहीं दूसरी ओर राजद विधायक चेतन आनंद के पिता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की नीतीश कुमार से करीबी लगातार बढ़ रही है। नीतीश कुमार उनके गांव गए थे। आनंद मोहन और नीतीश कुमार की मुलाकात होते रहती है। बुधवार, 27 दिसंबर को एक बार फिर नीतीश कुमार की आनंद मोहन से मुलाकात हुई। आनंद मोहन और नीतीश की इस मुलाकात में लवली आनंद भी साथ रही। इस मुलाकात से आनंद मोहन के जदयू में शामिल होने की अटकलें लगाई जाने लगी। लेकिन आनंद मोहन ने इस मुलाकात के बारे में कहा कि इस बैठक के सियासी मायने न निकाले जाएं। मुख्यमंत्री से उनके पुराने संबंध हैं। जेडीयू में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी तय नहीं है।