भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी लगातार महागठबंधन की सरकार पर हमलावर रहे है। अक्सर महागठबंधन के खिलाफ बोलते रहे है और महागठबंधन पर सवाल उठाते रहे हैं। इस बार भी नीतीश कुमार के महागठबंधन में एक साल पूरे होने पर उन्होंने एक लम्बा-चौड़ा पोस्ट किया है। पोस्ट में एक इमेज शेयर किया है जिसमें लिखा है घमंडी गठबंधन के पूरे हुए एक साल, बिहार हुआ बदहाल, जिसके बाद एक लम्बी-चौड़ी पोस्ट लिखी गई है। जिसमें उन्होंने नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला है। इस पोस्ट के माध्यम से सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार के एक साल के कार्यकाल पर भी सवाल उठाए हैं।
“PMCH में डॉक्टर नहीं गुंडे काम करते हैं डॉक्टर से लेकर नर्स तक करते हैं बदसलूकी”
“जनता के आदेश को नकार लालू परिवार की गोद में बैठें है नीतीश”
” राष्ट्रकवि दिनकर जी ने लिखा था -‘जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है’
नीतीश कुमार आज इसी अवस्था से गुजर रहे हैं। विनाश के तरफ खींचते अपने कुंद विवेक के कारण ही उन्होंने आज से ठीक एक वर्ष पहले बिहार की जनता के आदेश को नकारते हुए लालू परिवार की गोद में बैठने का फैसला किया था। तब से लेकर आज तक गंगा में काफी पानी बह चुका है। कभी भाजपा के साथ के कारण सुशासन के प्रतीक बने नीतीश आज राजद की संगत की रंगत में रंग कर कुशासन, अवसरवादिता और पलटी मारने का मिसाल बन चुके हैं।
इस एक साल में लोगो ने देखा है कि कैसे कोई व्यक्ति अतिमहत्वकांक्षा में पड़ कर अपने साथ-साथ 12 करोड़ बिहार वासियों के भविष्य को खतरे में डाल देता है। जनता ने देखा है कि कैसे कोई व्यक्ति पद के मद में चूर हो कर खुद को तख्त पर पहुंचाने वाली जनता की पीठ में बार-बार छूरा घोंपता है। अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए कैसे एक दूसरे को पानी पी-पी कर कोसने वाले लोग एक हो जाते हैं, लोगों ने यह भी देखा है।
“बिजली की मांग करने वालों को गोलियों से भून गया”
सम्राट चौधरी ने आगे लिखा है कि इस एक साल में बढ़े अपराध के कारण हजारों माताओं की गोद सुनी हुई है, कितनी ही बहनों का सुहाग उजड़ा है 10 लाख सरकारी नौकरी मांगने वालों पर लाठियां बरसाई गई, कटिहार में बिजली की मांग करने वालों को गोलियों से भून दिया गया। बक्सर के चौसा में आधी रात में किसानों के घरों में घुस कर महिलाओं-पुरुषों को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया। भाजपा के शांतिपूर्ण मार्च में कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ा कर मारा गया। जहानाबाद के हमारे भाई विजय सिंह जी शहीद हुए और सैंकड़ों की संख्या में हमारे कार्यकर्ता घायल हुए।
इसी बीच जिहादी तत्व, शराब माफिया, रंगदार और निर्मम हत्यारों को खूब खाद-पानी मिला। बिहार पीएफआई का गढ़ बन गया। कानून बदलकर दो दर्जन से अधिक दुर्दांत अपराधियों को जेल से रिहा किया गया। शराब माफियाओं द्वारा तकरीबन हर दूसरे दिन पुलिस को पीटा और मारा जाने लगा। बालू माफियाओं के आतंक से जनता और अधिकारी थर्रा उठें। बिहार पुलिस के मुताबिक राजधानी में लगभग हर दिन एक मर्डर होना आम हो गया। हिंदू समाज की आस्थाओं पर सरकार के बड़े नेताओं के अपमानजनक प्रहार होने लगे। शोभायात्राओं पर पथराव की घटनाएं आम हो गई, राजनीतिक हत्याओं का दौर फिर से शुरू हो गया। यहां तक कि बेगुसराय और हाजीपुर जैसे शहरों में खुलेआम बीच सड़क पर गोलियां दागी गई, लेकिन नीतीश जी के जमीर की नींद आज तक नहीं टूटी है।
“नीतीश अपने ईमान और अंतरात्मा का घोंट चुके हैं गला”
दरअसल नीतीश कुमार अपने ईमान और अपनी अंतरात्मा दोनों का गला घोंट चुके हैं न तो राजद के युवराजों की पालकी ढ़ोने में शर्म आती है और न ही उनमें सोनिया गाँधी के सामने झुक कर जेपी के संघर्षों का मजाक उड़ाने में ग्लानी का भाव उत्पन्न होता है।
कभी-कभी सोचता हूं कि क्या नीतीश जी आईने में अपनी शक्ल देखते होंगे? क्या उनकी आत्मा अकेले में उन्हें कुरेदती होगी? क्या बिहार की जनता से गद्दारी करने के लिए उन्हें पछतावा होता होगा? लेकिन अगले ही पल खींसे निपोरते हुए अपनी गलतियों को जबर्दस्ती सही ठहराते हुए झूठ और कुतर्कों की चाशनी में लिथराया उनका कोई बयान दिख जाता है और इनकी असलियत समझ में आ जाती है।
बहरहाल नीतीश कुमार यह जान और मान लें कि सिर्फ ठगबंधन सरकार का एक वर्ष नहीं बीता है बल्कि हमेशा बैसाखी पर चलने वाली उनकी राजनीति का भी एक साल कम हो गया है। कुछ दिन और है उन्हें जितनी लाठियां और गोलियां चलवानी है चला लें। उनका घड़ा भर चुका है आने वाले समय में बिहार की जनता और उनके अशुभचिंतक साथी उनका जो हाल करेंगे वह हर किसी के लिए एक उदाहरण होगा। जनता हिसाब जरुर लेगी”