बिहार में जाति आधारित जनगणना के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में एक साथ तीन जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिका में जाति आधारित जनगणना को रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जाति आधारित जनगणना समाज में भेदभाव उत्पन्न कर सकता है। जिसकी वजह से भेदभाव बढ़ने की आंशका है। जाति आधारित राजनीति को रंग देने के लिए ही बिहार सरकार मनमाने ढंग से जाति आधारित जनगणना करा रही है।
पांच सौ करोड़ खर्च कर रही सरकार
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य सरकार जातियों व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है। यह राज्य सरकार के क्षेत्रधिकार में नहीं आता है। प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है। ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है। सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पाँच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है। याचिका पर पटना हाईकोर्ट में 18 अप्रैल, 2023 को सुनवाई की जाएगी। याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ सुनवाई करेगी।