बिहार में लोकसभा चुनाव का गणित पिछले दो दशकों से लगभग एकतरफा है। पिछले 3 लोकसभा चुनावों में एनडीए को बिहार की जनता ने अधिक सीटें दी हैं। 2009 में देश में यूपीए की सरकार बनी लेकिन बिहार की जनता ने 40 में से 32 सीटें एनडीए को दे दीं। 2014 में तो एनडीए की सरकार बनी और बिहार से 40 में से 31 सीटें एनडीए के खाते में गईं थीं। 2019 में तो तमाम रिकॉर्ड टूटे और 40 में से 39 सीटें एनडीए के खाते में चली गईं। यहीं से एनडीए को विश्वास हुआ कि वो बिहार में 40 सीटें भी जीत सकती है और यही इस बार एनडीए के दलों का दावा भी है। लेकिन विपक्ष में लड़ रही RJD की स्थिति ऐसी है कि उसका प्रदर्शन हर चुनाव के बाद फीका हो रहा है। बिहार की 40 लोकसभा सीटों में 2014 में RJD को 04 सीटें मिलीं तो 2019 में RJD को 00 सीटें मिलीं। तो सवाल उठता है कि इस बार राजद के पास अपने उस दर्द से उबरने का आखिर इलाज क्या है?
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दरअसल, RJD की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसके पास लोकसभा स्तर के नेताओं का अभाव बढ़ता जा रहा है। इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि पार्टी दो दशकों से राज्य की सत्ता से बाहर है। लेकिन इसके पीछे की एक वजह यह भी है कि राजद अभी भी अपने पुराने लोगों के भरोसे ही लगा हुआ है। जबकि एनडीए ने बदलाव की योजना पर पहले से ही काम शुरू कर दिया था। RJD के पुराने नेताओं से मोहभंग नहीं होने की कहानी उसके उम्मीदवारों की लिस्ट देखते ही स्पष्ट हो जाती है। जगदानंद सिंह, मीसा भारती, सुरेंद्र प्रसाद यादव, अब्दुल बारी सिद्दीकी, रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे नेता पिछले दो चुनावों में लगातार हारे हैं। वहीं महाराजगंज सीट पर राजद की ओर 2014 में प्रभुनाथ सिंह हारे तो 2019 में उनके बेटे रणधीर सिंह।
RJD ने आजमा लिया है हर अस्त्र
राजद को वैसी पार्टी माना जाता रहा है जो अपने कोर जातीय समीकरण पर टिकी रहती है। इसके अलावा लालू परिवार पर भी राजद का भरोसा रहता है। लेकिन पिछले दो चुनावों में हर अस्त्र ध्वस्त हुआ है। 2014 के चुनाव में राजद ने लालू परिवार के दो सदस्यों को दो सीटों पर चुनावी मैदान में उतारा। इसमें सारण से राबड़ी देवी हारीं तो पाटलिपुत्र सीट से मीसा भारती को शिकस्त मिली। 2019 में भी राजद ने लालू परिवार से जुड़े दो सदस्यों को चुनावी मैदान में उतारा। इसमें मीसा भारती दूसरी बार पाटलिपुत्र सीट से हारीं। तो सारण सीट से तेजप्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय को हार का सामना करना पड़ा।
तो इस बार क्या करेगा RJD और लालू परिवार?
राजद में चलती लालू यादव के परिवार की है, इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन पार्टी को 2014 में 04 सीटें और 2019 में 00 सीटें ही मिलीं। ऐसे में 2024 में राजद की निगाहें एक बार फिर लालू परिवार की ओर टिकी हैं, कि उनके परिवार के कौन सदस्य चुनावी मैदान में जाएंगे। मौजूदा दौर में लालू परिवार के चार सदस्य सक्रिय राजनीति में हैं। लालू यादव के दोनों बेटे तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव विधायक हैं। तो मीसा भारती राज्यसभा सांसद। जबकि राबड़ी देवी विधान परिषद में हैं, जिनका कार्यकाल मई 2024 में समाप्त हो रहा है। संभावना जताई जा रही है कि लालू परिवार इस बार सारण सीट से तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री को चुनावी मैदान में उतार सकता है। लेकिन राजद की ओर से इस दिशा में कोई संकेत नहीं दिया गया है।