RANCHI: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को झारखंड के प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के फरार सुप्रीमो को गिरफ्तार कर लिया। देर शाम उसे रांची ले आया गया है। बताते चलें कि झारखंड में खूंटी जिले के दिनेश गोप उर्फ कुलदीप यादव उर्फ बडकू के खिलाफ पहले एनआईए ने नोटबंदी की रुपये की बरामदगी से संबंधित मामले (आरसी-02/2018/एनआईए/डीएलआई) में चार्जशीट किया था। वहीं पीएलएफआई के कार्यकर्ताओं से 25.38 लाख रु मामले में वह फरार था।
हत्या, अपहरण के ज्यादा मामले
एनआईए की जांच के अनुसार, आरोपी दिनेश गोप के खिलाफ झारखंड, बिहार और ओडिशा राज्यों में 102 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से अधिकांश मामले हत्या, अपहरण, धमकी, जबरन वसूली और पीएलएफआई के लिए धन जुटाने से संबंधित हैं। जो झारखंड में 2007 में गठित एक उग्रवादी माओवादी संगठन है और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी (सीपीआई-माओवादी) का एक अलग समूह भी है।
PLFI का गढ़ फिर स्थापित करना था
3 फरवरी 2022 को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदरी पुलिस थाने के वन क्षेत्र में दिनेश के नेतृत्व वाले पीएलएफआई दस्ते और सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। मुठभेड़ में कई राउंड फायरिंग हुई, इससे पहले कि नक्सली जंगल में घुस गए और दिनेश गोप भागने में सफल रहा। तब से वह फरार चल रहा था। झारखंड में पीएलएफआई के गढ़ को फिर से स्थापित करने के लिए सभी प्रयास करते हुए अलग-अलग जगहों पर शरण ले रहा था।
अवैध धन को निवेश किया
गोप व्यवसायियों, ठेकेदारों और जनता को बड़े पैमाने पर आतंकित करने के लिए अपनी पीएलएफआई टीम के सदस्यों के माध्यम से पैसे वसूलता और हमलों को अंजाम देता था। एनआईए की जांच से पता चला है। आरोपी, अपने सहयोगियों के साथ, एक पेट्रोल पंप पर एक बैंक खाते में विमुद्रीकृत मुद्रा जमा करने में शामिल था। जिसे बाद में लेवी/जबरन वसूली के माध्यम से एकत्र किया जाना था। इसके बाद अवैध धन को आरोपी दिनेश गोप के करीबी सहयोगियों और परिवार के सदस्यों के नाम पर बैंकिंग चैनलों और संदिग्ध शेल कंपनियों के माध्यम से निवेश किया गया।
1 करोड़ से अधिक नगद कुर्क
10 नवंबर 2016 को पीएस बेरो, रांची में संख्या 67/2016 के रूप में दर्ज किया गया था, और 19 जनवरी 2018 को एनआईए द्वारा फिर से दर्ज किया गया था। पुलिस ने 9 जनवरी 2017 को चार व्यक्तियों के खिलाफ पहली चार्जशीट दायर की थी। दिनेश गोप समेत 11 आरोपियों के खिलाफ केस में पहली सप्लीमेंट्री चार्जशीट इसके बाद, NIA ने 23 जुलाई 2022 को 5 व्यक्तियों और 3 प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के खिलाफ मामले में दूसरी पूरक चार्जशीट दायर की। एनआईए ने इस मामले में 14 बैंक खातों और दो कारों के साथ-साथ एक करोड़ से अधिक की नकदी और अचल संपत्ति भी कुर्क की थी।
JLT के नाम से जाना जाता था संगठन
पहले झारखंड लिबरेशन टाइगर्स (JLT) के रूप में जाना जाता था। NIA की जांच के अनुसार, PLFI झारखंड में सैकड़ों आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। जिसमें आग्नेयास्त्रों का उपयोग करके कई हत्याएं शामिल हैं। यह संगठन बेरोजगार युवकों को मोटर बाइक, मोबाइल फोन और आसानी से पैसा मुहैया कराने का लालच देता था। प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें घटनाओं को अंजाम देने के लिए घातक हथियारों से लैस करता था। जबरन वसूली पीएलएफआई की आय का प्रमुख स्रोत है।
हवाला से भेजता था पैसे
दिनेश झारखंड में विकासात्मक परियोजनाओं में लगे ठेकेदारों/व्यापारियों से वसूले गए धन को चैनलाइज करने की एक आपराधिक साजिश का हिस्सा था। वह इन फंडों को मेसर्स पलक इंटरप्राइजेज, मेसर्स शिव आदि शक्ति, मेसर्स शिव शक्ति समृद्धि इंफ्रा प्रा. लिमिटेड, मैसर्स भव्य एंजिकॉन, अन्य पीएलएफआई सहयोगियों और उनके परिवार के सदस्यों के साथ साझेदारी में निवेश करता था। जबरन वसूली की रकम को हवाला आपरेटरों के नेटवर्क के जरिए झारखंड से अन्य जगहों पर भी भेजा जा रहा था।