बिहार में 28 जनवरी को एनडीए सरकार बनने के बाद अब शुक्रवार, 15 मार्च को कैबिनेट का विस्तार हो रहा है। राजभवन में सभी मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह चल रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार में 21 नए मंत्रियों को जगह मिली है। इसमें 12 नए मंत्री भाजपा के हैं। जबकि जदयू ने 9 नए मंत्रियों को जगह दी है। जदयू में महेश्वर हजारी को छोड़कर सभी नेता वही हैं, जो पिछली सरकार में मंत्री थे। जबकि भाजपा ने इस बार नीतीश मिश्रा, दिलीप कुमार जायसवाल, हरि सहनी, कृष्ण नंदन पासवान, केदार गुप्ता, सुरेंद्र मेहता और संतोष कुमार सिंह को पहली बार मंत्रिमंडल में जगह दी है।
सबसे पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने मंत्री पद की शपथ ली। पिछली एनडीए सरकार में रेणु देवी उपमुख्यमंत्री थीं। लेकिन बेतिया से विधायक चुनीं गईं रेणु देवी को इस बार भाजपा द्वारा डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया है। अतिपिछड़ा समाज से रेणु देवी आती हैं। वे बेतिया से चार बार विधायक चुनी जा चुकी हैं।
रेणु देवी के बाद मंगल पांडेय ने मंत्री पद की शपथ ली। मंगल पांडेय भाजपा कोटे से विधान परिषद के सदस्य हैं। वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2020 के चुनाव के बाद मंगल पांडेय को स्वास्थ्य मंत्रालय दिया गया था। मंगल पांडेय अनारक्षित वर्ग में ब्राह्मण जाति से आते हैं। अभी मंगल पांडेय को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पश्चिम बंगाल का प्रभारी भाजपा ने बनाया है।
इसके बाद नीरज कुमार बबलू ने मंत्री पद की शपथ ली। ये बिहार सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री रह चुके हें। छातापुर से विधायक नीरज बबलू राजपूत जाति से आते हैं। नीरज बबलू ने शपथ लेने के बाद जय श्री राम का नारा भी लगाया।
जदयू की ओर से सबसे पहले अशोक चौधरी ने शपथ ली। नीतीश कुमार के करीबी अशोक चौधरी 2015 से ही लगातार बिहार सरकार में मंत्री बने हुए हैं। अशोक चौधरी विधान परिषद के सदस्य हैं। वे पिछली सरकार में भवन निर्माण विभाग के मंत्री थे।
इसके बाद लेशी सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली। लेशी सिंह भी नीतीश मंत्रिमंडल के स्थाई सदस्यों में रही हैं। लगातार 5 बार विधानसभा चुनाव जीतने वाली लेशी सिंह धमदाहा से विधायक हैं। पिछली सरकार में वे खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री रही हैं।
मदन सहनी पहले से नीतीश कैबिनेट का हिस्सा रहे हैं। शुक्रवार को एक बार फिर उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली। दरभंगा के बहादुरपुर से जदयू के विधायक हैं। पंचायत राजनीति से शुरुआत कर बिहार सरकार के मंत्री तक पहुंचे मदन सहनी पिछली सरकार में समाज कल्याण मंत्री थे।
एक गैप के बाद नीतीश मिश्रा वापस मंत्रिमंडल में आए हैं। पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा पहले ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके हैं। लेकिन पिछली सरकार में नीतीश मिश्रा मंत्री नहीं थे। नीतीश मिश्रा ने मैथिली भाषा में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।
पिछली सरकार में पथ निर्माण मंत्री रहे नितिन नवीन पर एक बार फिर भाजपा ने भरोसा जताया है। छत्तीसगढ़ प्रभारी के तौर पर उनके काम की सराहना भी हुई। पटना की बांकीपुर सीट से विधायक नितिन नवीन कायस्थ जाति से आते हैं।
डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल को पहली बार भाजपा ने मंत्रिमंडल में शामिल किया है। वे विधान परिषद के सदस्य हैं। साथ ही प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष भी हैं।
इसके बाद महेश्वर हजारी ने मंत्री पद की शपथ ली। वे जदयू के विधायक हैं। एक वक्त में नीतीश मंत्रिमंडल का हिस्सा थे। कुछ दिन पहले तक महेश्वर हजारी विधानसभा के डिप्टी स्पीकर थे। संजय झा के राज्यसभा जाने के बाद नीतीश मंत्रिमंडल में महेश्वर हजारी की एंट्री हुई है। वे समस्तीपुर से सांसद भी रह चुके हैं।
शीला मंडल ने भी जदयू कोटे से मंत्री पद की शपथ ली। 2020 से ही शीला मंडल परिवहन मंत्री रह चुकी हैं। वे अतिपिछड़ा समाज से आती हैं। पहली बार विधायक बनने के बाद ही शीला मंडल को नीतीश मंत्रिमंडल में जगह मिल गई थी।
2020 में गोपालगंज की भोरे सुरक्षित सीट से जदयू के टिकट पर विधायक चुने गए सुनील कुमार एक बार फिर मंत्री बने हैं। सेवानिवृत्त आईपीएस सुनील कुमार पिछली सरकार में भी मंत्री थे। उन्हें तब मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग का मंत्री बनाया गया था।
गोपालगंज के पूर्व सांसद व विधान पार्षद जनक राम एक बार फिर मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। जनक राम पहले भी मंत्री रहे हैं। 2020 में उन्हें एनडीए सरकार में खान एवं भूतत्व विभाग का मंत्री बनाया गया था।
भाजपा ने हरि सहनी को पहली बार मंत्रिमंडल में जगह दी है। विधान परिषद के सदस्य हरि सहनी को भाजपा ने पहली बार मौका दिया है। हरि सहनी ने भी पाग पहने हुए मैथिली भाषा में शपथ ली। हरि सहनी मल्लाह जाति से आते हैं।
कृष्णनंदन पासवान को भी पहली बार मंत्रिमंडल में जगह मिली है। वे 2010 में पहली बार विधायक चुने गए थे। उन पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। वे हरसिद्धी से भाजपा के विधायक हैं।
जदयू की ओर से एक बार फिर जयंत राज को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। पिछली बार ग्रामीण कार्य मंत्री रहे जयंत राज भागलपुर जिले के अमरपुर से विधायक हैं। 2020 में पहली बार विधायक बनने के बाद ही नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्री बना दिया था।
जदयू की ओर मो. जमा खान को एक बार फिर नीतीश कैबिनेट में जगह मिली है। पहले वे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के पद पर थे। 2020 के चुनाव के बाद वे बसपा छोड़ कर जदयू में शामिल हुए थे। जमा खान कैमूर जिले के चैनपुर से विधायक हैं।
महादलित समाज से आने वाले रत्नेश सदा एक बार फिर मंत्री बने हैं। महागठबंधन सरकार में मंत्री रह चुके रत्नेश सदा सहरसा के सोनबरसा सीट से विधायक हैं। रत्नेश सदा के बारे में कहा जाता है कि परिवार पालने के लिए उन्होंने रिक्शा तक चलाया है।
केदार गुप्ता को पहली बार मंत्रिमंडल में जगह मिली है। कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में जदयू के मनोज कुशवाहा को हराकर विधायक बने केदार गुप्ता को नीतीश कैबिनेट में पहली बार भाजपा ने जगह दी है। वे कानू जाति से आते हैं।
सुरेंद्र मेहता को भी भाजपा ने पहली बार मंत्री बनने का मौका दिया है। बेगूसराय के बछवाड़ा सीट से भाजपा विधायक सुरेंद्र मेहता ने सीपीआई के अवधेश राय को हराया था। पहली बार सुरेंद्र मेहता 2010 में विधायक बने थे।
एमएलसी संतोष कुमार सिंह को भी भाजपा ने पहली बार मंत्रिमंडल में जगह दी है। 2022 के एमएलसी चुनाव में जीते संतोष कुमार सिंह रोहतास-कैमूर का प्रतिनिधित्व करते हैं।