लोकसभा चुनाव में बिहार में इंडिया गठबंधन में काफी जद्दोजहद के बाद सीट बंटवारा तो हो गया, लेकिन घटक दलों में टिकटों के बंटवारे को लेकर अभी भी मामला फंसा हुआ है। राजद और कांग्रेस ने कई सीटों पर अभी भी उम्मीदवार का नाम फाइनल नहीं किया है। इसी में एक महत्वपूर्ण सीट है महाराजगंज। महाराजगंज लोकसभा सीट इस बार कांग्रेस के खाते में गयी है। लेकिन, कांग्रेस आलाकमान अभी तक उम्मीदवार का नाम तय नहीं कर पाया है।
इन नामों पर हो रही है चर्चा
महाराजगंज सीट से उम्मीदवार का नाम तय करने को लेकर प्रदेश स्तर से लेकर केंद्रीय स्तर तक माथापच्ची चल रही है। सूत्रों की मानें तो महाराजगंज की सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के बेटे आकाश कुमार सिंह के नाम की चर्चा चल रही है। 2019 के चुनाव में आकाश कुमार आरएलएसपी के टिकट पर पूर्वी चंपारण से लोकसभा चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में अकाश कुमार सिंह को 284139 वोट मिले थे। वहीं भाजपा के राधामोहन सिंह को 577787 वोट मिले, राधा मोहन सिंह दो लाख 93 हजार 648 मतों से विजयी रहे।
एक और नाम डॉ अरुण कुमार का भी है जिन्हें कांग्रेस अपना उम्मीदवार बना सकती है। जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार हाल ही में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) छोड़कर आये हैं। अरुण कुमार 2014 में रालोसपा की टिकट पर जहानाबाद से चुनाव लड़े थे और 3,22,647 मतों से विजयी हुए थे। उन्होंने राजद के सुरेन्द्र प्रसाद यादव को हराया था। इस बार वह कांग्रेस से जुड़ गये हैं और महाराजगंज सीट के लिए दावेदार माने जा रहे हैं।
क्या है जाति फैक्टर
महाराजगंज सीट को राजपूत मतदाताओं को विनिंग फ़ैक्टर के तौर पर देखा जाता है। यहां के सियासी इतिहास पर नज़र डालें तो, इस सीट से ज़्यादातर राजपूत उम्मीदवारों ने ही जीत का परचम लहराया है। महाराजगंज में जीत दर्ज करने वाले ज्यादातर सांसद राजपूत जाति के रहे हैं। यहां 14 से ज्यादा बार राजपूत जाति के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। महाराजगंज की चार विधानसभा क्षेत्र मांझी, एकमा, बनियापुर और तरैया सारण जिला में आता है। मशरख, तरैया और कईअन्य क्षेत्र हैं जो राजपूत बाहुल्य क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
महाराजगंज में 40 साल बाद उतर रही है कांग्रेस
महागठबंधन में सीट बंटवारे के बाद इस बार कांग्रेस के खाते में है। कांग्रेस करीब 40 साल बाद महाराजगंज से चुनाव लड़ने जा रही है। एक समय था जब महारागंज में कांग्रेस की बयार बहती थी। वहीं यहां से आखिरी बार 1984 में कांग्रेस ने विजयी पताका लहराई थी। महाराजगंज लोकसभा सीट पर हुए अब तक के चुनावों में कांग्रेस ने पांच बार जीत हासिल की है। जिसमें 1957 में महेंद्र सिंह,1962 में कृष्णकांत सिंह,1967 में मृत्युंजय प्रसाद, एवं 1980,1984 में कृष्ण प्रताप सिंह कांग्रेस से सांसद निर्वाचित हुए हैं। वहीं चार दशकों बाद फिर से महाराजगंज के चुनावी रण में उतरी कांग्रेस के लिए अपने खोए हुए साम्राज्य को प्राप्त करना आसान नहीं होगा।
जनार्दन सिंह सिग्रीवाल से होगा मुकाबला
महाराजगंज से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल भाजपा के उम्मीदवार हैं। वे सीटिंग सांसद हैं। उन्होंने प्रभुनाथ सिंह और उनके पुत्र रणधीर कुमार सिंह को चुनाव में हराया है। कांग्रेस को यहां भाजपा के उम्मीदवार एवं वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल से चुनौती मिलेगी। साल 2014 एंव 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल महाराजगंज लोकसभा से विजयी रहे हैं। भाजपा ने एक बार फिर से सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल पर भरोसा जताते हुए उम्मीदवार बनाया है। अब देखना दिलचस्प होगा की महाराजगंज लोकसभा सीट से जनता भाजपा के सिर जीत की हैट्रिक का ताज पहनाती है या चार दशकों बाद फिर से महाराजगंज लोकसभा सीट पर वापसी करने वाली कांग्रेस पर विश्वास जताती है।