बिलकिस बानो गैंगरेप और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या करने वाले सभी 11 सजायाफ्ता कैदियों को 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था। बीते दिन शनिवार को इसके खिलाफ नरकटियागंज में भाकपा-माले ने विरोध मार्च निकाला। ये मार्च पोखरा चौक से निकलकर शहीद भगत सिंह चौक तक पहुंचा। भाकपा-माले कार्यकर्ताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला भी फूंका गया।
भाकपा-माले के नेता ने बताई पूरी घटना
मार्च में शामिल भाकपा-माले नेता केदार राम ने कहा कि दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं। बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया। इतना ही नहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। इस मामले में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
“न्याय के साथ मजाक”
माले नेता यासिर अराफात ने कहा कि इन 11 दोषियों की रिहाई कोर्ट ने नहीं किया बल्की गुजरात के भाजपा सरकार ने 1992 का रीमिशन नीति के तहत किया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1992 की नीति को 2012 में ही हटा दिया गया। जिसे गुजरात सरकार ने खुद स्वीकार किया है। यह न्याय के साथ मजाक है।
मार्च में ये रहे मौजूद
भाकपा-माले द्वारा निकले गए मार्च में अशोक राम, भरत कुमार राम, प्रकाश पशवान, बृजेश पशवान, जैनूल हक, ममताज आलम, जुबैर आलम, त्रिलोकी कुशवाहा, सुभाष चौधरी, राजा चौधरी, दिनेश राम, सेराजुल मियां, युनुस मियां, ऐनुल हसन, जफर साहब, महमद रईस, आशीष कुमार, सुनिल कुमार आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।