बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में छठ महापर्व मनाया जाता है। इसकी शुरुआत शुक्रवार, 17 नवंबर से हो गई है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू होने वाला यह पर्व चार दिनों का होता है। नहाय खाय से शुरू होने वाले इस पर्व के दूसरे दिन खरना और उसके बाद सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है।
17 नवंबर 2023 : नहाय खाय से शुरू होगी पूजा
छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस बार 17 नवंबर को नहाय खाय है। इस दिन व्रती महिलाएं और पुरुष एक समय भोजन करते हैं। भोजन ग्रहण करने से पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग पहले खाना खाते हैं और इसके बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।
18 नवंबर 2023 : छठ का दूसरा दिन खरना
छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना होता है, जिसका मतलब होता है शुद्धिकरण। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखता है। शाम के समय मिट्टी के नए चूल्हे पर गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में बनाई जाती है और व्रती ग्रहण करता है। इसके बाद 36 घंटे का लंबा निर्जला उपवास शुरू होता है।
19 नवंबर 2023 : अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा का तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। इस दिन अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 19 नंवबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय शाम में 5 बजकर 27 मिनट तक का है।
20 नवंबर 2023 : उगते सूर्य को अर्घ्य
छठ महापर्व के चौथे दिन को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देते समय संतान और परिवार की सुख-शांति बनाए रखने के लिए कामना करते हैं। उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय सुबह 6 बजकर 47 मिनट तक है। अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन यानि पारण होगा।