इस बार कांग्रेस बिहार में लोकसभा की 40 में से 10 सीटों पर दावा कर रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में राजद के साथ गठबंधन कर इसने कुल नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था, जहाँ वह सिर्फ किशनगंज सीट हीं जीत पायी थी। देखा जाए तो बिहार के महागठबंधन सरकार का एक सदस्य जदयू भी कतार में है, जिसके पास वर्तमान में 16 सांसद हैं। जदयू के इन काबिज सीटों में कुछ ऐसी सीटें हैं जो कांग्रेस की दावेदारी लिस्ट में आती हैं। वहीं इस लिस्ट की कुछ सीटो पर वामदल भी दावेदारी करती दिख रही है। ऐसी स्थिति में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और सीएम नीतीश की रजामंदी भी विचारणीय बात होंगी। चूंकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह लालू का काफी सम्मान करते हैं और यही कारण है कि लालू भी अकारण उनका विरोध नहीं करते। इस रिश्ते की मधुरता को भुनाकर कांग्रेस अपने पसंदीदा दस सीटों को पाने की उम्मीद में है। वहीं राजद के एक प्रवक्ता के अनुसार यह हिस्सेदारी पांच-छह सीटों से ऊपर नहीं दिखती है। उन्होंने आगे कहा कि अगर प्रैक्टिकली देखें तो बिहार में जातिगत समीकरण के आधार पर ही सीटें तय की जाती हैं। साथ ही कांग्रेस के जीत का पिछला रिकॉर्ड देखें तो किसी लिहाज़ से वो 10 सीटों को डिजर्व नहीं करती।
दावेदारी बनाम हिस्सेदारी पटना साहिब,वाल्मीकिनगर, पूर्णिया, मुंगेर जैसे संसदीय क्षेत्र को छोड़ अब कांग्रेस बेगूसराय, किशनगंज,कटिहार, सुपौल, सासाराम, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, नवादा और पूर्वी चंपारण पर कांग्रेस पर दावेदारी कर रही है। इस सूची में बेगूसराय,दरभंगा, मधुबनी, नवादा और पूर्वी चंपारण जैसे संसदीय क्षेत्र वो नये चॉइस हैं। जहाँ पार्टी अपना भाग्य आजमाना चाहती है। वहीं देखा जाए तो वाल्मीकिनगर,कटिहार और समस्तीपुर पर माले भी दावेदारी कर रहा है। बेगूसराय लोकसभा सीट पर भी भाकपा अपना दावा ठोक रही है। नवादा और पूर्वी चंपारण राजद के टार्गेट पर हैं। मधुबनी के जातिगत समीकरण को देखते हुए राजद इसे भी किसी हाल त्यागन नहीं चाहेगा। दरभंगा पहले से हीं जदयू की आँखों पर चढ़ी हुई है। अब इस पेचीदगी और उहापोह की स्थिति में कांग्रेस को उसकी 10 पसंदीदा सीट मिल पाना टेढ़ी खीर जान पड़ती है।
समीकरण की बात की जाए तो पिछली हारी हुई 9 सीटो पर कांग्रेस ने जीतने वाली पार्टी को कड़ी टक्कर दी थी और उसका वोट प्रतिशत काफी अच्छा था। फिर भी उनमें से चार पर वह दावा ही नहीं कर रही। सीट बटवारे के संभावनाओं की बात करें तो 2019 की पिछली लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे कम मतों (57203) के अंतर से कटिहार में हारी थी। पार्टी के दिग्गज तारिक अनवर को आज भी महागठबंधन का प्रबल दावेदार माना जा रहा है । लिहाज़ा कांग्रेस की दावेदारी लिस्ट में यह सीट पार्टी को मिलती दिख रही है।
किशनगंज के संदर्भ में जदयू और कांग्रेस में टकराव होता दिख रहा है। यकीनन वहाँ जदयू को कांग्रेस ने हराया था पर देखा जाए तो जीत का अंतर काफी कम था। इसलिए जदयू सहजता से इस सीट को नहीं छोड़ने जा रही है। अब देखना है कि दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक में कोर पार्टियां किस नतीजे पर पहुंचती है।