आज बिहार के लिए काफी अहम दिन है। चूंकि आज जातिगत जनगणना के साथ-साथ बिहार निकाय चुनाव पर सुनवाई हुई। एक ओर जातिगत जनगणना के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अर्जी खारिज कर पटना हाई कोर्ट जाने को कहा। जबकि निकाय चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई दो हफ्तों के लिए टाल दिया है। बता दें बिहार निकाय चुनाव पर कई अड़ंगे लगते रहे हैं। लेकिन कुछ समय बाद निकाय चुनाव को हरी झंडी मिल गई थी। इसके बाद 18 दिसंबर और 28 दिसंबर को चुनाव हो गया। 30 दिसंबर को इसके रिजल्ट भी आ गए। अब बिहार सरकार द्वारा मामले में जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा है। इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ के समक्ष सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी गई है।
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पहले हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में तीन जांच की अर्हता निर्धारित की थी। जिसमें पहला ओबीसी के पिछड़ापन पर आंकडे जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने का था। दूसरा आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करना था। वहीं तीसरा एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का 50 प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करें, इसको सुनिश्चित करना था। पर बिहार नगर निकाय चुनाव में ये सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार चुनाव ना कराए जाने को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने चुनाव पर रोक लगा दिया था।
हाईकोर्ट मानी तो सुप्रीम कोर्ट में अटका है मामला
हाईकोर्ट द्वारा निकाय चुनाव पर रोक लगाए जाने के राज्य सरकार अतिपिछड़ा आयोग का गठन कर जांच करने की बात कही। जिसको हाईकोर्ट द्वारा मंजूरी दे दी गई थी। पर सुनील कुमार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई और हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई। याचिका में अतिपिछड़ा आयोग से रिपोर्ट तैयार करने को सही नहीं कहा गया है।