बिहार लोक सेवा आयोग के तीसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास भड़के हुए हैं। उन्होंने कहा कि बिहार लोक सेवा आयोग इस समय थेथरई कर रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग कहा रहा है कि उसे सबूत चाहिए, जबकि ईओयू ने पेपर लीक से संबंधित जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, उसमें सभी महत्वपूर्ण तथ्य है। उसने बताया है कि 15 मार्च की परीक्षा का प्रश्न पत्र 14 मार्च को आउट हो चुका था। पेन ड्राइव में प्रश्न पत्र आ गया था। अभ्यर्थियों से 10 से 12 लाख रुपए लिए गए थे. इस पर ईओयू ने विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कराया है और सभी का जिक्र है।
अमिताभ दास ने कहा कि आयोग ने ठोस साक्ष्य की मांग करके अपनी भद पिटा ली है। लोग सोशल मीडिया पर आयोग से पूछ रहे हैं कि 270 लोग जो इस मामले में जेल गए हैं क्या वह तरल सबूत है। आयोग के नए अध्यक्ष रवि मनु भाई परमार के इस रवैया से बहुत निराशा हुई है। इस पेपर लीक के सबसे बड़े मास्टरमाइंड बिहार सरकार की एक माननीय मंत्री है। ऐसे में स्वाभाविक है बीपीएससी पर दबाव है। इस मामले को हम छोड़ने वाले नहीं है। हमने अपने वकील से बात कर ली है और होली से पहले इस मामले पर हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करेंगे।
अमिताभ दास ने कहा कि वो हाईकोर्ट से इस परीक्षा को रद्द करने की मांग करेंगे क्योंकि पेपर लीक के कारण बिहार के लाखों नौजवानों का भविष्य खराब हो रहा है। पीआईएल याचिका में वह आधार देंगे ईओयू की जांच रिपोर्ट का और बताएंगे कि इसके साक्ष्य है कि लाखों रुपए में क्वेश्चन पेपर बेचे गए हैं। अमिताभ दास ने कहा कि इस पूरे मामले में बिहार सरकार की एक बड़े मंत्री संलिप्त हैं। उस मंत्री के नाम का खुलासा वह जल्द करेंगे।
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि सड़कों पर लिखा हुआ है ‘रोजगार मतलब नीतीश कुमार’ तो सोशल मीडिया पर युवा पूछ रहे हैं पेपर लीक मतलब कौन कुमार. बिहार में आए दिन हर प्रतियोगी परीक्षाओं के क्वेश्चन पेपर लीक होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षा माफिया की पहुंच सत्ता की गलियारों तक रहेगी बिहार में पेपर लीक नहीं रुकेगा और युवा इसी प्रकार हताश होते रहेंगे।