बिहार में चल रही जातीय जनगणना पर मामला फंसता दिख रहा है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इसे असंवैधानिक बताया गया है। अब जदयू ने इसे भाजपा की साजिश बताया है। इस संबंध में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि जब राष्ट्रीय स्तर पर जातीय गणना की मांग केंद्र सरकार ने अस्वीकार कर दिया, तब 6 महीना तक अड़ंगा लगाने के बाद तब बिहार सरकार ने जातीय जनगणना अपने संसाधनों से कराने का निर्णय लिया। लेकिन अब भाजपा इसमें साजिश कर रही है।
जातिगत जनगणना पर सुनवाई की तारीख तय, कल SC दर्ज की गई थी याचिका
ललन ने भाजपा को बताया झूठा
ललन सिंह ने साफ कहा है कि राज्य में जब जातीय जनगणना का काम प्रगति पर है तो भाजपा षड्यंत्र कर परोक्ष तौर पर सुप्रीम कोर्ट के बहाने इसे रुकवाने पर तुली है। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए केंद्र सरकार ने कोई पैसा नहीं दिया है। यह बिहार सरकार को अपने खर्च पर करवा रही है और इसका मकसद जनहित है। ललन सिंह ने इस षडयंत्र के लिए भाजपा को झूठ बोलने वाली पार्टी कहा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि यदि भाजपा वाकई में बिहार में हो रही जातीय गणना के पक्षधर है तो सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के खिलाफ़ भारत के एटॉर्नी जनरल को खड़ा करे। अन्यथा इनका दोहरा चरित्र जगजाहिर है। अब देश के सामने एक ही विकल्प है “2024 में बड़का झुट्ठा पार्टी (B.J.P) मुक्त भारत”।
बिहार के अखिलेश ने दायर की है याचिका
सुप्रीम कोर्ट में जातीय जनगणना के खिलाफ यह जनहित याचिका बिहार के अखिलेश कुमार ने दाखिल की है। अखिलेश नालंदा के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि जनगणना कानून के तहत यह काम सिर्फ केंद्र सरकार ही करा सकती है। ऐसे में बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का आदेश जारी कर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है। याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार का जातिगत जनगणना कराने का फैसला दुर्भावन पैदा करने की कोशिश है। इसके साथ यह भारतीय संविधान का उल्लंघन भी है। कोर्ट से बिहार के जातिगत जनगणना पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है।