बिहार की राजनीति में इस वक्त बयानवीरों को लेकर माहौल गर्म है। खास कर महागठबंधन में इन बयान वीरों के कारण रार थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ शब्दों के बाण छोड़ने वाले पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को राजद ने नोटिस थमा दिया है। वही दूसरी ओर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव के रामचरित मानस पर दिए बयान पर विवाद हर नए दिन के साथ नया रूप लेता जा रहा है। शिक्षा मंत्री के बयान को लेकर राजद और जेडीयू के सुर बिलकुल ही लग दिख रहे हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ राजद के ही बयान वीर मोर्चा संभाले हुए हैं बल्कि अब जेडीयू के बयानवीर भी अपनी वीरता दिखने मैदान में कूद पड़े हैं। जिनके निशाने पर सिर्फ ओर सिर्फ शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव हैं।
सुधाकर पर एक्शन को BJP ने दिया नया रंग, कहा ‘सवर्ण पर कार्रवाई और यादव को दवाई’
“शिक्षा मंत्री का मानसिक संतुलन ठीक नहीं“
जेडीयू विधायक डॉक्टर संजीव सिंह ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पर कार्रवाई ना किए जाने को लेकर नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। उन्हें जल्द से जल्द इलाज की आवश्कता है। विधायक डॉक्टर संजीव सिंह यहीं नहीं रुके उन्होंने ने यहाँ तक कह दिया कि शिक्षा मंत्री में ज्ञान की कमी है उन्हें हिंदुत्व में यकीन नहीं हैं। इस तरह का बयान देकर उन्होंने चिरकुट वाला काम किया है। उन्होंने ये भी साफ कहा कि शिक्षामंत्री हमें मजबूर ओर लाचार ना समझे।
![](https://www.insiderlive.in/wp-content/uploads/2023/01/WhatsApp-Image-2023-01-19-at-10.44.45-AM.jpeg)
दूसरा धर्म अपना लें शिक्षा मंत्री
जेडीयू विधायक डॉक्टर संजीव सिंह ने शिक्षा मंत्री से अपने बयान को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि शिक्षामंत्री को अपना बयान वापस लेना चाहिए साथ ही देश की जनता से सार्वजानिक रूप में माफी भी मंगनी चाहिए। यदि उन्हें हिंदू धर्म से दिक्कत है तो वो दूसरा धर्म अपना लें। बता दें कि डॉक्टर संजीव सिंह परबत्ता विधानसभा से जेडीयू के विधायक हैं।
इस बयान से शुरू हुआ था विवाद
दरअसल 11 जनवरी को नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने एक बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि धार्मिक ग्रंथों ने समाज में जातिवाद का जहर फैलाया है। एक युग में मनुस्मृति ने जहर फैलाया। उसके बाद रामचरित मानस ने जहर फैलाया।इसके बाद गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स ने यही काम किया। साथ ही उन्होंने रामायण की एक चौपाई “अधम जाति में विद्या पाए,भयहु यथा अहि दूध पिलाए” का जिक्र करते हुए भी उससे आपत्ति जताई। उन्होंने कहा था कि इस चौपाई का मतलब ये है कि निचले जाती के लोग ज्ञान प्राप्त कर सांप के समान जहरीले हो जाते हैं। इसी बयान को लेकर विवाद बढ़ता चला गया लेकिन अपने इसी बयान पर वो आज भी कायम है। जिसे लेकर विपक्ष सहित महागठबंधन के नेता भी उनपर तबड़तोड़ हमला कर रहे हैं।